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Dharm adhyatm : खड़े होकर ही अर्घ्य क्यों दिया जाता है? जानें क्या है इसके पीछे का कारण

Dharm adhyatm : खड़े होकर ही अर्घ्य क्यों दिया जाता है? जानें क्या है इसके पीछे का कारण

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dharm, religious, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Dharma-Karma : हमारे धार्मिक शास्त्रों में अर्घ्य देने के भी कई नियमों के बारे में बताया गया है। अर्घ्य देते समय खड़े रहने का विधि विधान है। क्योंकि बैठकर अथवा फिर अन्य किसी मुद्रा में अर्घ्य देना अच्छा और शुभ नहीं माना जाता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियमों के बारे में बताया गया है। पूजा-अर्चना की पद्धति के बारे में भी बताया गया है। वहीं बताए गए नियमों और पद्धतियों के अनुसार ही पूजा-अर्चना करने के लिए कहा जाता है। कुछ लोग सुबह स्नान आदि कर पूजा करने से पहले अर्घ्य देते हैं।

खड़े होकर अर्घ्य देना शुभ माना जाता है

वैसे तो स्नान के बाद और पूजा से पहले भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन सूर्य देवता के अलावा भी अन्य देवी-देवताओं को भी अर्घ्य दिया जाता है। जैसे कि तुलसी को अर्घ्य दिया जाता है, शिवलिंग को अर्घ्य दिया जाता है। पीपल के पेड़ को अर्घ्य देते हैं। इसके अलावा चंद्र देव को भी हम अर्घ्य देते हैं। आपको बता दें कि अर्घ्य देने के भी कई नियमों के बारे में बताया गया है। अर्घ्य देते समय खड़े रहने का विधान होता है। क्योंकि बैठकर या फिर अन्य किसी मुद्रा में अर्घ्य देना अच्छा व शुभ नहीं माना जाता है। तो आइए जानते हैं खड़े होकर ही अर्घ्य देना जरूरी क्यों होता है।

खड़े होकर अर्घ्य देना

धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक पूजा-पाठ बैठकर किए जाने का विधान है। लेकिन अर्घ्य खड़े होकर दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि खड़े होकर अर्घ्य देने से शरीर के सातों चक्र जागृत हो जाते हैं। वहीं सातों चक्र जागृत होने से शरीर में दिव्यता का प्रवेश होता है। ऐसे में जब शरीर में दिव्यता प्रवेश करती है तो शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। 

ताकि आपकी पवित्रता भंग न हो

इसका एक कारण यह भी होता है कि अगर आप बैठकर अर्घ्य देते हैं, तो धरती पर गिरते जल या दूध की छींटे आपके पैर को छूएंगी। इससे अर्घ्य दिए जाने की पवित्रता भंग हो जाती है और इसमें दोष आ जाता है। इसके अलावा शास्त्रों में बताया गया है कि खड़े होकर अर्घ्य देने के दौरान आपके हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। इस तरह से अर्घ्य देने से मानसिक बीमारियां दूर होने के साथ स्ट्रेस भी कम होता है और मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है। वहीं इस तरह की मुद्रा भगवान के चरणों में समर्पित होती है। इसलिए हमेशा खड़े होकर अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।

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