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धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का है बहुत महत्त्व

धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का है बहुत महत्त्व

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Dharma adhyatma : पूजा-पाठ का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्त्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी इष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है, तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके इष्ट देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं, उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्त्व है, इसलिए काम को भी लोग पूजा मानते हैं।

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पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि…

जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है, एक तरीका होता है, ठीक उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि पूजा का क्षेत्र भी धर्म के क्षेत्र जितना ही व्यापक है। हर धर्म-हर क्षेत्र की संस्कृति के अनुसार ही वहां की पूजा विधियां भी होती हैं। जैसे मुस्लिम नमाज अदा करते हैं, तो हिन्दू भजन कीर्तन, मंत्रोच्चारण हवन आदि, सिख गुरु ग्रंथ साहब के सामने माथा टेकते हैं, तो ईसाई प्रार्थनाएं करते हैं। इस तरह हर देवी-देवता, तीज-त्योहार आदि को मनाने के लिए अपने इष्ट-देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं, इन्हें ही पूजा-पद्धतियां कहा जाता है।

गलत विधि से की गयी पूजा निष्फल होती है 

जिस प्रकार गलत तरीके से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता, उसी प्रकार गलत विधि से की गयी पूजा भी निष्फल होती है। जिस प्रकार वैज्ञानिक प्रयोगों में रसायनों का उचित मात्रा अथवा उचित मेल न किया जाये, तो वह दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं, उसी प्रकार गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत पूजा-पद्धति के प्रयोग से विपरीत प्रभाव भी पड़ते हैं ; विशेषकर तंत्र विद्या में तो गलती की माफी नहीं ही मिलती।

उदाहरण से ऐसे समझें 

उदाहरण के तौर पर मान लें, आप कृपा मां लक्ष्मी की पाना चाहते हैं और मंत्र मां दुर्गा के पढ़ रहे हैं। आप उपासना भगवान शिव की करने बैठे हों और मंत्रोच्चारण बजरंग बलि हनुमान के कर रहे हों, इससे कोई भी देवता खुश नहीं होंगे। इसी प्रकार पूजा की सामग्रियां भी होती हैं ; अर्थात पूजा करने में उपयोगी सामान (धूप, दीप, फल-फूल आदि)।

…तो अब तक आप समझ गये होंगे कि पूजा विधियों का ज्ञान होना कितना आवश्यक है। ऐस्ट्रोयोगी के इस खंड में हम आपको अलग-अलग मौकों पर अपनायी जाने वाली पूजा विधियों की जानकारी देंगें। आप जान पायेंगे कि दीवाली का पूजन कैसे करें, धनतेरस पूजा की क्या विधि है या फिर गोवर्द्धन पूजा कैसे करनी है। करवा चौथ के व्रत पर क्या पूजा विधि अपनायें। अभिप्राय यह कि आपके चाहे जो भी इष्ट हों, पूजा उनके लिए बनायी गयी विधि के अनुसार ही करें, तभी उसका सही फल प्राप्त कर पायेंगे।

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