Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

Dharma-Karma, Spiritual : यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के कष्ट, जब हनुमान जी के डर से शनि देव को बनना पड़ा था स्त्री

Dharma-Karma, Spiritual : यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के कष्ट, जब हनुमान जी के डर से शनि देव को बनना पड़ा था स्त्री

Share this:

Sarangpur Gujarat ke kashtbhanjak Hanuman : गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी को महाराजाधिराज के नाम से पुकारा जाता है। वे सोने के सिंहासन पर बैठकर अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। कहा जाता है कि यहां बजरंगबली के दर्शन करने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। चाहे वह बुरी नजर की समस्या हो या शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति की। हनुमान जी ने बाल्यकाल में ही सूर्यदेव को निगल लिया था। उन्होंने राक्षसों का नाश किया और वे लक्ष्मण के प्राणदाता भी बने। बजरंग बली ने अनेक संकटों से देवताओं की सहायता की है। आज भी हनुमान अपने धाम में भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं, इसलिए उन्हें कष्टभंजन हनुमान कहा जाता है। हनुमान के इस मंदिर में आने पर हर कष्ट दूर हो जाता है और हर मनोकामना पूरी होती है। यहां एक विशाल और भव्य किले की तरह बने मंदिर के बीच कष्टभंजन का अत्यंत सुंदर और चमत्कारिक मंदिर है। एक कष्टभंजन हनुमान मंदिर भी केसरीनंदन के भव्य मंदिरों में से एक है। गुजरात में अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर दूरी पर यह दिव्य धाम स्थित है। यहां शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति के साथ-साथ संकटमोचन का रक्षा कवच भी प्राप्त होता है।

यहां 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने हनुमानजी  सिंहासन पर विराजमान हैं

हनुमानजी के इस भव्य और आकर्षक मंदिर के विशाल और प्रख्यात मंडप के बीच सुंदर सिंहासन पर 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने हनुमानजी विराजमान हैं। उनके मुकुट में हीरे और जवाहरात आलौकिक चमक बिखेरते रहते हैं। हनुमान जी के पास एक सोने की गदा भी है। संकटमोचन हनुमानजी के चारों ओर प्रिय वानर सेना दिखाई देती है। हनुमान जी के पैरों पर शनिदेवजी महाराज विराजमान हैं, जो संकटमोचन हनुमानजी के इस रूप को विशेष बनाते हैं। भक्तों की अटूट आस्था से युक्त बजरंगबली के इस रूप में, यहां दूर-दूर से लोग खींचे चले आते हैं। मान्यता है कि पवनपुत्र के इस स्वर्ण आभूषणों से सजे ऐसे भव्य और अनूठे रूप को कहीं और नहीं देखा जा सकता है। हनुमानजी की यह प्रतिमा बहुत प्राचीन है, और इस रूप में अंजनीपुत्र की शक्ति सबसे अद्वितीय है।

हनुमान जी के श्रृंगार का रखा जाता है विशेष ध्यान

हनुमानजी के इस मंदिर में विशेष धार्मिक क्रियाएं संपन्न होती हैं। यहां दो बार आरती होती है, पहली आरती सुबह 5:30 बजे की होती है। इससे पहले हनुमानजी के श्रृंगार का विशेष ध्यान रखा जाता है, उनके रात्रि श्रृंगार को हटाया जाता है और उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। उन्हें स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है तथा वेद मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ के बीच उनकी आरती संपन्न की जाती है। इस मंदिर में बजरंगबली के भक्त रोज़ाना आते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां लाखों भक्त आते हैं। वे नारियल, पुष्प और मिठाई का प्रसाद लेकर केसरी नंदन को भेंट करते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं।

मंगलवार और शनिवार को होती है यहां विशेष पूजा

शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति प्राप्त करने के इच्छुक भक्त इस जगह पहुंचते हैं। यहां आने वाले ज्यादातर भक्त यह सोचते हैं कि शनिदेव से उन्हें डर है, लेकिन यदि शनिदेव किसी से डरते हैं तो वह खुद संकटमोचन हनुमानजी। इसलिए यहां मंगलवार और शनिवार को कष्टभजंन हनुमानजी की विशेष पूजा आयोजित होती है। भक्त अपने कष्टों और बुरी नजर के दोषों से छुटकारा पाने की आशा लेकर यहां आते हैं और मंदिर के पुजारी की सहायता से बजरंगबली की पूजा करवाकर अपने कष्टों से निजात प्राप्त करते हैं।

स्वामी नारायण को हुए थे हनुमान जी के दिव्य दर्शन

यहां हनुमान जी के पैरों में शनि देवता की मूर्ति है। यहां पर शनिदेव बजरंगबली के चरणों में स्त्री स्वरूप में पूजे जाते हैं। इसी कारण उन भक्तों को यहां आना पड़ता है, जो शनि के क्रोध से परेशान होते हैं। भक्त यहां आते हैं और नारियल चढ़ाकर सभी चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं। आपको जानने की इच्छा होगी कि शनिदेव की यहां स्त्री रूप में क्यों पूजा की जाती है। शनि देव को बजरंगबली के चरणों में क्यों सर लेना पड़ा। कहा जाता है कि लगभग 200 साल पहले भगवान स्वामी नारायण ने इस स्थान पर सत्संग किया था। स्वामी बजरंगबली के भक्ति में इतने लीन हो गए थे कि उन्हें हनुमान के उस दिव्य स्वरूप का दर्शन हुआ, जो इस मंदिर के निर्माण का कारण बना। बाद में स्वामी नारायण के भक्त गोपालानंद स्वामी ने इस सुंदर प्रतिमा की स्थापना की।

हनुमान जी के डर से शनिदेव को बनना पड़ा था स्त्री

धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय शनिदेव का चारों ओर आतंक छाया हुआ था। लोग शनिदेव की क्रूरता से परेशान थे। अंत में उनके भक्तों ने बजरंग बली के मंदिर में अपनी प्रार्थना की। हनुमानजी ने उनकी सुनी और शनिदेव को मारने का वादा किया। अब शनिदेव के पास केवल एक विकल्प बचा था कि वह नारी का रूप धारण करें। क्योंकि शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और स्त्री पर हाथ नहीं उठाते। जब हनुमान जी शनि भगवान पर प्रहार करने आए तो देखा कि शनिदेव स्त्री का रूप धारण किए हुए हैं। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें मारने का प्लान कैंसिल कर दिया। इसके बाद भगवान राम ने हनुमानजी को आदेश दिया कि शनि देव को सबक सिखाओ। प्रभु श्री राम का आदेश मिलने के बाद हनुमान जी ने शनि देव को अपने पांव से कुचल दिया साथ ही साथ अपने क्या करती है भक्तों को शनिदेव की क्रूरता से मुक्त कर दिया।

इस मंदिर में 33 कोटि देवी-देवताओं की शक्ति संग्रहित 

पौराणिक और धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में आने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। यहां की पूजा करने से शनि के सभी दोष तत्काल दूर हो जाते हैं। इसलिए भक्त दूर-दूर से इस जगह पर आते हैं। यहां आने वाले भक्तों के अनुसार इस मंदिर में 33 कोटि देवी-देवताओं की शक्ति संग्रहित है। यह हनुमान मंदिर लोगों के बीच गहरी श्रद्धा का केंद्र है। यहां भक्तों को बजरंग बली के साथ शनि देव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त नारियल चढ़ाकर मन्नत मांगता है तो तो उसके मनोकामनाएं बहुत जल्द पूरी हो जाती है। यहां शनि की कठिनाइयों से मुक्ति के साथ-साथ संकटमोचन का रक्षा कवच भी प्राप्त होता है।

Share this: