Bhagwan Ganesh ki Puja is vidhi se Karen : बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा का विधान है। गौरी पुत्र भगवान गणेश (सिद्धि विनायक) को प्रथम पूज्य और विघ्न नाशक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भगवान गणपति की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं और जातक के ऊपर हमेशा कृपा बरसाते रहते हैं। इस दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर गणपति के ध्यान में लगें और फिर उनकी पूजा करें। बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति संकट, रोग और दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
भगवान गणेश को क्या-क्या है प्रिय
दूर्वा : माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को दूर्वा (दूब घास) चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन मंदिर अथवा घर पर ही स्थापित गणेश जी के चरणों में दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ा दें। इस दौरान दूर्वा अर्पित करते हुए ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का उच्चारण करें। इससे आपकी सुख और समृद्धि बढ़ेगी।
लालफूल ; भगवान गणेश को लाल फूल भी बहुत ज्यादा पसंद है। बुधवार के दिन गणपति की आराधना के समय लाल रंग का फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से व्यक्ति को मन वांछित फल मिलता है।
घी और गुड़ का भोग : बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा विधि पूर्वक करने के साथ-साथ उन्हें भोग में गुड़ और घी समर्पित करें। गणेश जी को सफेद मोदक का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से गणपति की कृपा आपके ऊपर बरसती रहेगी। इसलिए गणेश भगवान की पूजा के दौरान उन्हें सफेद मोदक भी जरूर समर्पित करना चाहिए।
शमी के पत्ते : शनि भगवान के साथ-साथ गणेश भगवान को भी शमी के पत्ते खासा पसंद हैं। गणेश भगवान की पूजा के दौरान उन्हें शमी के पत्ते जरूर चाहने चाहिए। ऐसा करने से दरिद्रता दूर भागती है। इसके साथ -साथ रुके और अटके हुए काम तुरंत हो जाते हैं।
सिद्धि विनायक की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का जाप
✓ऊँ गण गणपतये नमः
✓एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
✓ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
✓ऊँ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
✓ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।
✓ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
इस विधि से करें गणेश जी की पूजा
1. सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति पूरे विधि विधान से स्थापित करें। इसके बाद उनकी मूर्ति सजाएं। इतना करने के बाद अपनी पूजा शुरू करें।
2. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री तैयार की जाती है, जैसे कि सुपारी, दूर्वा, फूल, निम्बू, श्रीफल, अक्षत (अनाज के दाने), दीपक, धूप, अगरबत्ती, गंध, अर्क (पंचामृत के अंश), गंगाजल, पूजा की थाली, और पूजा के लिए अन्य आवश्यक सामग्री।
3. पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
4. गणेश जी की मूर्ति को पूजा की थाली पर स्थापित करें। पूजा की थाली पर गंगाजल की कुंडली स्थापित करें और उसे पूर्ण स्थानांतरित करें।
5. अपनी पूजा की विधि के अनुसार, श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की पूजा करें। इसके दौरान, गणेश मंत्रों का जाप करें।