Sani jayanti and Vat Savitri Vrat Aaj : आज विवाहित महिलाओं का प्रमुख व्रत वट सावित्री है। इस दिन विवाहित महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ उसके तने में धागा लपेट दी हैं। इस दौरान व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा कर संकल्प लेती हैं। अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। आपको बता दें कि इसी दिन सूर्यपुत्र शनिदेव की जयंती भी मनाई जाती है। इस बार वट सावित्री पूजा और शनि जयंती की मौके पर ग्रहों का शानदार संयोग बन रहा है। धर्मशास्त्र के जानकारों और विद्वानों का मानना है कि इस बार बेहद शुभ संयोग के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व व्रतियों को अच्छा फल देगा। बट सावित्री पूजा के दिन इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। इसका सीधा लाभ व्रतियों को होगा।
18 मई की रात से शुरू हो गई अमावस्या की तिथि
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 18 मई की रात को 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और यह 19 मई की रात 9:22 पर समाप्त होगी। इसलिए इस बार यह पर्व 19 मई को मनाया जाएगा।
वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पर बन रहे ये शुभ योग
19 मई को वट सावित्री पूजा है। इसी दिन सूर्यपुत्र शनि देव की जयंती भी है। इस मौके पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शनि अपनी राशि कुंभ में रहेंगे इसलिए वह है शश राजयोग बना रहे हैं। इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में रहेंगे। इसलिए गजकेसरी योग का भी निर्माण हो रहा है। इसका बढ़िया फल भक्तों को मिलेगा। पंडित रामदेव की माने तो इन शुभ संयोग के बीच शनि जयंती और वट सावित्री व्रत की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इसके साथ ही साथ व्रत करने वाली महिलाओं को हमेशा सौभाग्य वान रहने का आशीर्वाद भी ईश्वर से प्राप्त होगा।
कैसे करें वट सावित्री की पूजा
बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना किए बिना वट सावित्री व्रत पूरा नहीं हो सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ पर ब्रह्मा विष्णु और महेश निवास करते हैं। इसलिए इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से तीनों देवताओं का सीधा आशीर्वाद व्रत करने वाली विवाहित महिलाओं को मिलता है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करके उसके तने में रक्षा सूत्र बांधती हैं। ऐसा करने से पति दीर्घायु होते हैं। इससे संतान सुख प्राप्त होने का भी त्रिदेव आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत की पूजा में पानी में फुलाए गए काले चने का विशेष महत्व होता है।
शनि जयंती के मौके पर ऐसे करें शनिदेव को खुश
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को ही ही सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि जयंती भी मनाने का प्रचलन है। जयंती पर शनिदेव को प्रसन्न करने के कुछ विशेष उपाय करने से शनि दोष में लोगों को राहत मिलती है और शनि की ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती में भी लाभ मिलता है।
11 बार दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें
भक्त शनि जयंती के मौके पर 11 बाद दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें। इस बारे में खुद शनिदेव ने कहा है कि इस स्त्रोत का पाठ करने वालों को मेरी दशा में भी ज्यादा कष्ट उठाना नहीं पड़ता है।
शनि जयंती पर महादेव की जरूर करें पूजा
शनि जयंती पर भोले शंकर की जरूर पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र और शमी का फूल अवश्य चढ़ायें। इसके बाद शिवलिंग पर अर्पित करने वाले जल में काला तिल डालना ना भूलें। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही शिवलिंग पर जल अर्पण करें। इसके बाद शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करनेवाले भक्तों को बहुत ज्यादा लाभ की प्राप्ति होती है।
सरसों के तेल का दीपक जलाना ना भूलें
शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ पर और शमी के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाना ना भूलें। दीपक में तेल के साथ-साथ काला तिल भी जरूर डालें। ऐसा करने से भक्तों पर शनि की कृपा बनी रहती है।
शनि की प्रिय वस्तुओं का करें दान
शनि जयंती के मौके पर शनि की प्रिय वस्तुएं जरूरतमंद को जरूर दान करना चाहिए। इस मौके पर आप काला जूता, काला छाता, काला वस्त्र आदि दान कर सकते हैं। आप इस दिन किसी गरीब और वृद्ध व्यक्ति को नमकीन चीजें खाने के लिए भी दे सकते हैं। ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ शनि देव कृपा बनाए रखते हैं।