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Dipawali alert : रंग में भंग न पड़े, कुछ एहतियाती उपाय अपनाएं और जमकर दीवावली की खुशी मनाएं…

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm – adhyatm, dharm adhyatm, religious : अमावस्या के अंधेरे को चीरकर दीपों के प्रज्वलन का यह त्योहार मन-मस्तिष्क आह्लादित कर जाता है। यह हमें अंधेरे से उजाले की ओर ले जाता है। हममें सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर जाता है। इस अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बीच आतिशबाजी न हो, ऐसा हो हीं नहीं सकता। बच्चों को भी इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। लेकिन इस मामले में थोड़ी-सी असावधानी दुर्घटना का सबब जाता है। ऐसे में रंग में भंग न पड़े, कुछ एहतियाती उपाय अपनाएं और जमकर खुशियां मनाएं…

दीपावली में बरती जाने वाली कुछ सावधानियां

✓तेज आवाज व विस्फोट वाली आतिशबाजी बच्चों को कभी न दें। 

✓आतिशबाजी के समय बच्चों के साथ बड़े भी जरूर रहें। 

✓अधिक ढीले या पोलिस्टर, नायलोन, सिंथेटिक वस्त्र पहनने से बच्चों को रोकें। ऐसे वस्त्र आग भड़काने में सहायक होते हैं।

✓ अनार, चकरी आदि जलाकर उसकी रोशनी पर कूदने की भूल भूलकर भी न हो।  

✓आतिशबाजी के गहरे धुएं से ह्नदयजन्य अनेक बीमारियां हो सकती हैं, बच्चों को धुएं में मत रहने दें।

✓आतिशबाजी खुले छत पर, खुले मैदान में ही करवाइए। बन्द कमरे में आतिशबाजी कतई न करें। 

[आतिशबाजी करते समय अगर थोड़ा-बहुत कहीं जल जाये तो कच्चे आलू को कद्दूकस कर उसका रस या पुदीने के रस से उस पर लेप लगा दें। 

इन अनैतिक कार्यों को करें बाय…

दीपावली को कुुछ लोग अप्रत्याशित रूप से कुछ प्राप्त कर लेने की इच्छा से या रूढ़िवादी मान्यताओं के आधार पर जुए का खेल रात-रात भर खेलते हैं। जुए की भी अपनी नैतिकता, मर्यादा तथा कुछ नियम कानून होते हैं, जिसका अनुपालन करना अनिवार्य होता है। कभी जुआ पासे फेंककर खेला जाता था। चौपड़ बिछती थी। आज ताश के पत्तों के माध्यम से इसे बड़ी सरलता से खेला जाता है। कैसिनो अभिजात्यों एवं उच्च आर्थिक, सामाजिंक वर्ग वालों का एक अत्यन्त प्रिय शगल है। इस खेल में हर कोई जीत तो सकता नहीं। ऐसे में दिवाली में अपना और अपने और अपने परिवार का दीवाला न निकलने दें।

याद रखें बिना श्रम के लक्ष्मी नहीं आतीं, अगर आ भी गईं तो टिकती नहीं…

दीपावली के पवित्र त्योहार पर अज्ञानता रूपी अन्धकार को मिटा कर ज्ञानरूपी प्रकाश को फैलाने का संकल्प लेना चाहिए। बिना श्रम के लक्ष्मी किसी के पास नहीं आती। लक्ष्मी का निवास पवित्र ह्नदय और पवित्र स्थान पर ही होता है अत: जुए जैसी अपवित्र भाव का त्याग करके ही दीपावली की रोशनी का आनन्द ग्रहण करना चाहिए।

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