Do you know that there is a ban on men going to these famous temples of India, know what is the reason for this, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर महिलाओं के जाने की मनाही है तो वहीं कुछ मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश नहीं हैं। देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पर पुरुष केवल बाहर से ही दर्शन कर सकते हैं। इन मंदिरों में पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। हमारे देश में कई मंदिर हैं। वहीं इन मंदिरों से जुड़ी तमाम कहानियां और मान्यताएं लोगों के बीच प्रचलित हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर महिलाओं के जाने की मनाही है, तो वहीं कुछ मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश नहीं हैं। हांलाकि कुछ खास समय पर मंदिर के द्वारा उनके लिए खुलते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भारत के उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर पुरुषों की एंट्री बैन है। तो आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में
कामाख्या मंदिर
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर काफी ज्यादा फेमस है। मान्यता के अनुसार, कामाख्या शक्तिपीठ का स्थान सभी शक्तिपीठों में सबसे ऊपर है। यहां पर माता को रजस्वला होता है। माता के महावारी के दिनों में यहां पर उत्सव मनाया जाता है और इसी दौरान मंदिर में पुरुषों की एंट्री बैन कर दी जाती है। मां कामाख्या के माहवारी के दिनों में महिला पुजारी उनकी सेवा करती हैं। मां कामाख्या अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। इसके अलावा मां कामाख्या को तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण देवी माना जाता है।
ब्रह्मा देव मंदिर
पूरे भारत में राजस्थान राज्य के पुष्कर में भगवान ब्रह्म देव का इकलौता मंदिर है। इस मंदिर का 14वीं शताब्दी में निर्माण करवाया गया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर में पुरुषों का आना वर्जित है। देवी सरस्वती के श्राप के कारण इस मंदिर में कोई भी शादीशुदा पुरुष प्रवेश नहीं कर पाता है। जिस कारण पुरुषों को मंदिर के आंगन से ही भगवान ब्रह्म देव के दर्शन करने पड़ते हैं। वहीं शादीशुदा महिलाएं अंदर जाकर पूजा पाठ कर सकती हैं।
भगवती देवी मंदिर
कन्याकुमारी में मौजूद भगवती देवी मंदिर में मां की भगवती रूप में पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक इसी स्थान पर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए महिलाएं तपस्या करने आती हैं। वहीं भगवती मां को सन्यास की देवी भी कहा जाता है। केवल संन्यासी पुरुष ही इस मंदिर में मां के दर्शन कर सकते हैं। इसके साथ ही इस मंदिर में भी पुरुषों की एंट्री पर बैन हैं। वहीं महिलाएं मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकती हैं। इसके अलावा किन्नरों को भी मंदिर प्रांगण में पूजा करने की आजादी है। यदि पुरुषों को इस मंदिर में प्रवेश करना होता है, तो उनको महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करना पड़ता है।
अट्टुकल मंदिर
केरल के अट्टुकल मंदिर के नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है। यहां पर पोंगल उत्सव में भाग लेने के लिए 30 लाख से भी ज्यादा महिलाएं आई थीं। अट्टुकल मंदिर में पोंगल पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक मां भद्रकाली उम्र के दौरान मंदिर में 10 मिनट तक निवास करती हैं। इस दौरान मंदिर में पुरुषों की एंट्री बैन होती है।
चक्कुलाथुकावु मंदिर
केरल के चक्कुलाथुकावु मंदिर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। हर साल पोंगल पर्व के दौरान मंदिर में नारी पूजा की जाती है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान मंदिर में पुरुषों के आने पर बैन लग जाता है। पुरुष पुजारी नारी पूजा के दौरान महिलाओं के पैर धोते हैं। वहीं पोंगल पर्व के 15 दिन पहले से ही इस मंदिर में महिलाओं का हुजूम देखने को मिलता है। इस दौरान महिलाएं अपने साथ गुड़, चावल, और नारियल ले जाती हैं।