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क्या मां काली की जीभ निकली होने की वजह जानते हैं आप? यदि नहीं, तो आइए बताते हैं विस्तार से…

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Do you know the reason behind Maa Kali’s tongue sticking out? If not, let us explain in detail…, dharm, religious, Spirituality, Astrology, Dharma-Karma, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharm, God and goddess : हिन्दू धर्म के अनुसार देवी काली को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए जाना जाता है। उन्हें प्रबल शक्तिशाली देवी के रूप में पूजा जाता है। काली भगवान शिव की पत्नी मां पार्वती का अवतार हैं। उनका निवास श्मशान घाट है और उनके हथियार हैं कृपाण और त्रिशूल। काली में शक्ति का समावेश है, जो ऊर्जा, रचनात्मकता और उर्वरता का प्रतीक है। कहा जाता है कि काली का जन्म धरती पर बुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए हुआ था। 

काली माता की जन्म कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक दारुक नामक राक्षस था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था। उसने वरदान प्राप्ति के बाद स्वर्गलोक पर कब्जा कर लिया था और वरदान के अनुसार उसे केवल एक स्त्री ही मार सकती थी। देवता मदद के लिए भगवान शिव के पास गये और दारुक के बारे में बताया। भगवान शिव ने पार्वती माता से अनुरोध किया कि वह दारुक का वध करें। अपने पति की आज्ञा का पालन करते हुए मां पार्वती ने अपने एक अंश को शिव के अंदर समाहित किया और वह अंश शिव के कंठ में बैठे विष से अपना रूप धारण करने लगा। जब शिवजी ने तीसरा नेत्र खोला, तो एक भयंकर विकराल रूपी काले रंग की देवी का जन्म हुआ, जिसे काली माता कहा गया। 

क्यों निकली है काली माता की जीभ? 

आपने कई तस्वीरों में देखा होगा कि मां काली शिव की छाती पर अपने पैर रखे हुए हैं। इसके पीछे की भी एक कथा है। दरअसल, एक रक्तबीज नामक राक्षस था, जिसे वरदान था कि वह धरती पर गिरनेवाले अपने खून की हर बूंद से वापस से पैदा हो जायेगा। वरदान पाकर रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। देवताओं ने युद्ध की ठानी और रक्तबीज से लड़ने को तैयार हो गये। लेकिन, जब उन्हें पता चला कि रक्तबीज को उसके एक बंदू खून से वापस पैदा होने का वरदान है, तो वे मां काली के पास पहुंचे। महाकाली देवताओं की मदद के लिए युद्ध भूमि पहुंचीं। उन्होंने अपनी जीभ को लम्बा किया और रक्तबीज के खून की एक भी बूंद को धरती पर नहीं गिरने दिया। इस तरह काली माता ने उसका पूरा रक्त पी लिया। तब उनके अंदर इतना गुस्सा आ गया कि वह उसे शांत करने में असमर्थ रहीं। 

फिर, देवताओं ने भोलेनाथ से विनती की, कि वह महाकाली को शांत करायें। भगवान शिव ने कई बार कोशिश की, लेकिन वह काली का क्रोध शांत कराने में असफल रहे। फिर उन्होंने काली को रोकने के लिए उनके चरण के पास जाकर लेट गये। काली को जब एहसास हुआ कि वह शिव पर कदम रख रही हैं, तब उन्होंने शर्म की वजह से क्रोध को शांत किया। 

मां काली का स्वरूप

काली को तस्वीरों में भगवान शिव की छाती पर एक पैर के साथ युद्ध के मैदान में खड़े होने के रूप में दर्शाया गया है। उनकी जीभ भगवान शिव की छाती पर पैर रखने के लिए अचरज में पड़ गयी। उनका रंग गहरा है और उसके चेहरे के भाव क्रूर हैं। उनके चार हाथों को दर्शाया गया है।

ऊपरी हाथों में से एक में वह खूनी कृपाण रखती हैं और दूसरे ऊपरी हाथ में वह कटा हुआ एक राक्षस का सिर रखती हैं। निचले हाथों में से एक में वह एक कटोरा रखती हैं, जिसमें वह रक्त एकत्र करती हैं, जो ऊपरी हाथ में दानव के विच्छेदित सिर से टपकता है। दूसरा निचला हाथ वरद मुद्रा में दिखाया गया है। वह नग्न दिखाया गया है और वह एक मुंडों की माला पहनी नजर आती हैं। निचले शरीर में वह मानव हथियारों से बना कमरबंद पहनती हैं। इसके अलावा कहीं कहीं तस्वीरों में काली के ऊपरी हाथों में से एक को वरदा मुद्रा में दिखाया गया है और निचले हाथों में त्रिशूल दर्शाया गया है।

मां काली को प्रसन्न करने के उपाय

यदि आप काली मां को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन माता की पूजा करना शुभ रहता है। 

इस दिन मां काली के मंदिर में जाकर लाल वस्त्र धारण करके उनकी मूर्ति के समक्ष धूप, दीप, नैवेद्य और लाल पुष्प अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और गुगल की धूप जलायें और आरती करें। प्रसाद के तौर पर देवी मां को लौंग, गुड़ और पेड़े का भोग लगायें।  यदि आपके जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हैं, तो मां काली के बीज मंत्र का जाप करें। 

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिका।

क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

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