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Dharm adhyatm : अधिक उतावले न बनें, भगवान सबकी सुनते हैं

Dharm adhyatm : अधिक उतावले न बनें, भगवान सबकी सुनते हैं

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God listens to everyone : अधिक उतावले न बनें, भगवान सबकी सुनते हैं। समस्या हममें है। हम जरूरत होने पर भगवान की प्रार्थना करते हैं। तत्काल फल न मिला तो निराश होकर बैठ जाते हैं। फिर उनको दोष देने लगते हैं। वह हमारी सुनते ही नहीं हैं। कुछ तो यहां तक कहते हैं कि भगवान हैं ही नहीं। यह उतावलापन ठीक नहीं है। प्रार्थना अवश्य फलीभूत होती है। हां, हमेशा हमारी सोच के अनुरूप नहीं होती। भगवान खुद सब देखते हैं। जहां वे आवश्यक समझते हैं, पहुंचकर हमारी मदद करते हैं। उनकी मदद परिस्थिति के अनुरूप होती है। वह निरंतर मनुष्य का कल्याण करना चाहते हैं। सीमित बुद्धि के कारण हम उनके न्याय और प्रेम को समझ नहीं पाते।

परमपिता हैं ईश्वर हमेशा भला चाहते

याद रखें कि ईश्वर परमपिता हैं। वे हमेशा हमारा भला चाहते हैं। हम उनसे जितना प्यार करते हैं, वे हमें उससे ज्यादा करते हैं। बदले में हमें सिर्फ उन्हें प्यार देना है। भक्ति और विश्वास करके ही हम ऐसा कर सकते हैं। फिर वह हमारी चिंता करते हैं। जैसी जरूरत होती है, उसे खुद पूरा करते हैं। नीचे बोध कथा देखें। इसमें स्पष्ट संदेश है कि अधिक उतावले न बनें भगवान सबकी सुनते हैं।। 

बोधकथा में पढ़ें प्रसिद्ध डाक्टर की आपबीती

डा. मार्क एक प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ थे। एक बार किसी सम्मेलन में भाग लेने लिए दूर के शहर जा रहे थे। वहां उनको बड़े शोध के लिए पुरस्कृत किया जाना था। वे बड़े उत्साहित थे। जल्दी से जल्दी वहां पहुंचना चाहते थे। उन्होंने इस शोध के लिए बहुत मेहनत की थी। इसलिए पुरस्कार पाने का बड़ा उतावलापन था। वह विमान से रवाना हुए।  उड़ान भरने के दो घंटे बाद विमान में तकनीकी खराबी आ गई। उनके हवाई जहाज की आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। पूछा तो पता चला कि अगली प्लाइट दस घंटे बाद है।

रास्ता भटक कर डाक्टर झोपड़ी में पहुंचे डाक्टर

डा. मार्क को लगा कि वे सम्मेलन में समय पर नहीं पहुंच पाएंगे। इसलिए उन्होंने सड़क मार्ग की जानकारी ली। सम्मेलन वाले शहर जाने को टैक्सी के लिए पूछा। टैक्सी तो नहीं मिली लेकिन जान-पहचान वाले के माध्यम से कार मिली। वह भी बिना चालक के। उन्होंने खुद ही कार चलाने का निर्णय लिया। जैसे ही यात्रा शुरु की तेज आंधी-तूफान शुरू हो गया। रास्ता दिखना लगभग बंद हो गया। नया रास्ता और ऊपर से खराब मौसम। इस विपरीत स्थिति व आपाधापी में वे गलत रास्ते की ओर मुड़ गए। दो घंटे बाद समझ आ गया कि वे रास्ता भटक गए हैं। थक तो वे गए ही थे। उन्हें भूख भी बहुत जोर से लग गई थी। सुनसान सड़क पर भोजन की तलाश में भटक रहे थे। तभी एक झोंपड़ीनुमा मकान दिखा। उन्होंने गाड़ी रोकी। एक महिला ने दरवाजा खोला।

डाक्टर ने कहा कि वे भगवान को नहीं मानते

डा. मार्क ने उन्हें अपनी स्थिति बताई। उससे एक फोन काल करने की इजाजत मांगी। महिला ने बताया कि उसके यहां फोन नहीं है। फिर भी उसने उनसे कहा कि आप अंदर आइए और चाय पीजिए। मौसम ठीक होने पर, आगे चले जाइएगा। भूखे और थके हुए डाक्टर ने तुरंत हामी भर दी। महिला ने उन्हें बड़े सम्मान से बिठाया और चाय व कुछ खाने को दिया। उसने कहा, “आइए, खाने से पहले भगवान से प्रार्थना करें। उनका धन्यवाद कर दें।” डाक्टर महिला की बात सुन कर मुस्कुरा दिेए। वे बोले, “मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता। मैं मेहनत पर विश्वास करता हूं। आप अपनी प्रार्थना कर लें।” चाय की चुस्कियां लेते डाक्टर महिला को देखने लगे। वह अपने छोटे बच्चे के साथ ईश्वर की प्रार्थना कर रही थी।

महिला को प्रार्थना करते देख डाक्टर ने समस्या पूछी

डाक्टर मार्क को लगा कि महिला को कुछ समस्या है। महिला अपने पूजा के स्थान से उठी, तो डाक्टर ने पूछा। “आप परेशान प्रतीत होती हैं। आपको भगवान से क्या चाहिेए? क्या आपको लगता है कि भगवान आपकी प्रार्थनाएं सुनेंगे?” महिला ने उदासी भरी मुस्कुराहट से कहा। “ये मेरा पुत्र है। इसको एक गंभीर रोग है। इसका इलाज डाक्टर मार्क के ही पास है। मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं उन तक पहुंचूं। उनका महंगा इलाज करा सकूं। ऐसे में सिर्फ भगवान का सहारा है। यह सच है कि भगवान ने अभी तक मेरी प्रार्थना का जवाब नहीं दिया। किंतु मुझे विश्वास है कि वह कृपालु हैं। एक न एक दिन कोई रास्ता बना ही देंगे।  

सच जान कर डाक्टर के होश उड़ गए

डाक्टर मार्क तो सन्न रह गए। वे कुछ पल बोल ही नहीं पाए। उनकी आंखों में आंसू आ गए। वे बोले, “सचमुच भगवान महान और कृपालु हैं।” उन्हें सारा घटनाक्रम याद आने लगा। कैसे उन्हें सम्मेलन में जाने की जल्दी थी। कैसे उनके साथ एक के बाद एक हादसे होते गए। फिर वे यहां आ गए। वे समझ गए कि यह सब इसलिए नहीं हुआ कि भगवान को केवल इस भक्त महिला की प्रार्थना का उत्तर देना था। भगवान उन्हें भी एक मौका देना चाहते थे। वे भौतिक जीवन में धन, प्रतिष्ठा से ऊपर उठें। असहाय लोगों की सहायता करें। वे समझ गए कि भगवान चाहते हैं कि वह उन लोगों का इलाज करें जिनके पास धन तो नहीं है। पर जिन्हें भगवान पर विश्वास है। डाक्टर की जिंदगी बदल गई।

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