Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

रक्षाबंधन को लेकर संशय की स्थिति : शुभ मुहुर्त में ही भाइयों को राखी बांधेंगे तो खुश रहेगा आपके भइया का घर परिवार, जानें कब से कब तक बांधना है राखी

रक्षाबंधन को लेकर संशय की स्थिति : शुभ मुहुर्त में ही भाइयों को राखी बांधेंगे तो खुश रहेगा आपके भइया का घर परिवार, जानें कब से कब तक बांधना है राखी

Share this:

भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर इस वर्ष संशय की स्थिति है। पर्व कब और किस दिन मनाया जाए इसे लेकर धर्मशास्त्रियों के अलग-अलग मत हैं। धर्मशास्त्रों के जानकार मप्र ज्योतिष व विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचन्द्र शर्मा वैदिक के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व भद्रा रहित अपरान्ह व्यापिनी पूर्णिमा तिथि में मनाने की शास्त्र आज्ञा है। इस प्रकार की संशययुक्त स्थिति के चलते रात्रि में निशीथ काल प्रारंभ होने के पूर्व प्रदोष काल में ही रक्षा पर्व मना लेना शास्त्र सम्मत रहेगा।

पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त से होगी शुरू

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त, गुरुवार को सुबह 10.39 बजे से शुरू होगी जो 12 अगस्त शुक्रवार को सुबह 7.05 बजे तक रहेगी। 11 अगस्त को भद्रा का साया भी रहेगा। इस दिन भद्रा सुबह 10.39 बजे से रात 8.52 बजे तक रहेगी। इस इस प्रकार 11 अगस्त, गुरुवार को अपरान्ह काल में पूर्णिमा तो रहेगी लेकिन भद्रा के चलते रक्षाबंधन का पर्व रात 8.52 के बाद ही मनाया जा सकेगा। रक्षा बंधन, व्रत की पूर्णिमा व यजुर्वेदियों का उपाकर्म इसी दिन होगा

शुक्रवार को लग जाएगी प्रतिपदा

तिथि भद्रा के मुखकाल में रक्षाबंधन कदापि नही करें। उचित यही होगा कि भद्रा रहित समय में ही रात्रि 8.52 के बाद अपनी अपनी कुल परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत रहेगा। कई लोग 12 अगस्त शुक्रवार को रक्षाबंधन पर्व मानकर चल रहे हैं, लेकिन उदयातिथि होने के बावजूद अपरान्ह काल में प्रतिपदा तिथि होने के कारण यह पर्व नहीं मनाया जा सकता।

12 अगस्त को उदय कालीन पूर्णिमा तिथि त्रिमुहुर्त (तीन मुहूर्त) से कम होने से पर्व 11 अगस्त, गुरुवार को ही मनाया जाना धर्म व शास्त्र सम्मत भी है। सामान्यत: भद्रा को शुभ कार्यों में वर्जित किया गया है। आचार्य पं. शर्मा ने बताया कि 11 अगस्त को मकर राशि का चंद्रमा होने से पाताल लोक की भद्रा है। अत: यदि अति आवश्यक व अपरिहार्य कारण हो तो भद्रा का मुख छोड़कर भद्रा के पुच्छ काल अर्थात शाम 5.18 से 6.18 बजे तक श्रीगणेशजी, शिवजी, कुलदेवी व अपने कुलदेवता को रक्षाबंधन कर पर्व मनाया जा सकता है।

Share this: