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उर्मिला लक्ष्मण के साथ वनवास नहीं गयीं, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन, क्यों नहीं गयीं, जानते हैं आप…?

उर्मिला लक्ष्मण के साथ वनवास नहीं गयीं, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन, क्यों नहीं गयीं, जानते हैं आप…?

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, Urmila Lakshman ke sath vanvas kyon nahin gain : उर्मिला मिथिला के राजा जनक की पुत्री व माता सीता की छोटी बहन थीं। उनका विवाह भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के साथ हुआ था। जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला, तो सीता ने अपने पतिव्रत धर्म का पालन करने के लिए उनके साथ वन में जाने का निर्णय किया। चूंकि, लक्ष्मण बचपन से ही अपने भाई राम से अलग नही हुए थे व उन्हें वह अपने भाई से भी बढ़ कर मानते थे, अतः उन्होंने भी भगवान राम व माता सीता के साथ वन में जाने का निर्णय लिया। लेकिन,  उर्मिला वन में नहीं जा पायीं। हालांकि, उर्मिला भी अपने पतिव्रत धर्म का पालन करने के लिए लक्ष्मण के साथ वन में जाना चाहती थीं, लेकिन लक्ष्मण की याचना व आज्ञानुसार उर्मिला वन में नहीं जा पायी थीं। आखिर लक्ष्मण ने उर्मिला को क्यों साथ ले जाने से मना कर दिया था ? इसके पीछे दो कारण थे। आइये जानते हैं…

भगवान श्रीराम व माता सीता की सेवा

लक्ष्मण श्रीराम के छोटे भाई थे। वह उनके साथ वन में इसलिए ही जा रहे थे, ताकि हर समय वह उनकी सुरक्षा व वन में जीवन यापन करने में उनका साथ दे सकें। राजमहल व वन के जीवन में दिन-रात का अंतर होता था। वहां वन में स्वयं का खाना बनाना, लकड़ियां इकट्ठी कर आग जलाना, जंगल से आवश्यक वस्तुएं ढूंढ़ कर लाना, जंगली पशुओं से स्वयं की रक्षा करना इत्यादि सब काम करने होते थे। लक्ष्मण ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि वह 14 वर्षों के वनवास में भगवान श्रीराम व माता सीता की हर प्रकार से सहायता करेंगे। उन्हें कोई कष्ट नहीं होने देंगे। यदि उनकी पत्नी उर्मिला भी उनके साथ चलतीं, तो लक्ष्मण का भार और अधिक बढ़ जाता। वह उस प्रकार भगवान श्रीराम व माता सीता की सेवा नहीं कर पाते। साथ ही, उर्मिला का पूरा ध्यान नहीं रख पाने के कारण उन्हें ग्लानि भी अनुभव होती। अतः,  उन्होंने उर्मिला को स्वयं के साथ वन में नहीं चलने की याचना की।

माता कौशल्या व पिता दशरथ का ध्यान रखना

कैकेयी के वर स्वरूप भरत को अयोध्या का राजा घोषित किया जा चुका था। राम को देश निकाला दिया गया था। इसका बुरा प्रभाव उनकी मां कौशल्या व पिता दशरथ पर पड़ा था। अपने पुत्र से 14 वर्षों तक दूर रहने की पीड़ा सहन करने की क्षमता उनमें कम ही थी। यदि उर्मिला भी राम, लक्षमण व माता सीता के साथ वहां से चली जातीं, तो राजमहल सूना हो जाता व माता कौशल्या व दशरथ का ध्यान रखनेवाला कोई नहीं होता। अतः, लक्ष्मण ने उर्मिला से वचन लिया कि वह स्वयं 14 वर्षों तक वन में रह कर भगवान श्रीराम व माता सीता की सेवा करेंगे और उर्मिला राजमहल में रह कर माता कौशल्या व राजा दशरथ की सेवा करेंगी। यही कठोर वचन लेकर लक्ष्मण अपने भाई व भाभी के साथ वन में चले गये।

निद्रा देवी का लक्ष्मण को वरदान देना 

एक मान्यता के अनुसार निद्रा देवी अर्थात नींद की देवी ने लक्ष्मण को भगवान राम की दिन-रात सेवा करने के लिए उन्हें 14 वर्षों तक नींद नहीं आने का वरदान दिया था। उनके बदले की नींद उनकी पत्नी उर्मिला को दे दी थी। इस वरदान के फलस्वरूप लक्ष्मण को 14 वर्षों तक नींद नहीं आयी थी और उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रही थीं।

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