If you use Akshat properly then you can also become rich, let us know the remedies of Akshat, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : क्या आप जानते हैं कि आपके घर में उपलब्ध सामान्य सा चावल, जिसे हिंदू धर्म ग्रंथों में अक्षत कहा गया है, आपको कई प्रकार से फायदा पहुंचा सकता है? अक्षत के सही तरीके से प्रयोग से आप मालामाल भी हो सकते हैं! जो शिव भक्त हैं, उन्हें भी अक्षत शिव की भक्ति की पात्रता प्राप्त करने में अत्यंत महत्वकारी है।
अक्षत को धर्म शास्त्रों में देवान्न की संज्ञा दी गई है
अक्षत के कई प्रयोग हैं। अक्षत को हम सामान्यतः चावल कह कर पुकारते हैं। इसका इस्तेमाल भारत के लगभग हर घर में भोजन के रूप में प्रयोग होता है। चावल की उपज धान के रूप में होती है। धान के अंदर चावल के दाने बंद रहते हैं। इस कारण इसे कभी भी जूठा नहीं माना जाता है। यही कारण है कि अक्षत को धर्म शास्त्रों में देवान्न की संज्ञा दी गई है, अर्थात देवताओं का अन्न, जो कभी भी झूठा नहीं होता है।
अक्षत अर्थात जिसका कभी क्षय ना हुआ हो
अक्षत का शाब्दिक अर्थ अखंडित होता है। अक्षत मतलब जिसका कभी क्षय न हुआ हो। जो पूर्ण हो और अपने मूल स्वरूप में हो। कुछ शास्त्रों के अनुसार अक्षत पूर्णता का प्रतीक चिन्ह और देवताओं का भोजन माना जाता है। अखंडित अक्षत के अनेक प्रकार के ऐसे प्रयोग हैं, जिसके माध्यम से आप माता लक्ष्मी, भगवान शिव आदि को प्रसन्न करने में सफल हो सकते हैं। अक्षत के प्रयोग मात्र से विवाह में आ रही समस्याएं भी समाप्त होती हैं।
अक्षत धन्न धान्य और संपन्नता का प्रतीक
अक्षत का प्रयोग वैवाहिक रीति-रिवाजों में भी किया जाता है। जब घर से बेटी विदा होती है तो वह चावल के दानों को घर के द्वार से बाहर निकलते समय पीछे की ओर फेंकती हुई आगे बढ़ती जाती हैं। यह विवाह में एक प्रकार का रस्म होता है। इसके पीछे कई भावना यह होती है कि अक्षत धन्न धान्य और संपन्नता का प्रतीक है। जिसे अपने मायके से एक बेटी ने प्राप्त कर अपना आज तक भरण पोषण किया है। वह बेटी अपने नए घर मतलब ससुराल जाते वक्त अपने मायके में लौटा कर अपने पिता के घर की सुख संपन्नता को उन तक पहुंचा कर जा रही है।
अक्षत से बने भगवान शिव के कृपा पात्र
अगर आप भगवान शिव की कृपा पात्र बनना चाहते हैं तो लगातार पांच सोमवार तक भगवान शिव के मंदिर में सवा किलो चावल लेकर जाएं, जिसमें से पूजन की प्रक्रिया समाप्त होने के पश्चात एक मुट्ठी चावल भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर अर्पित करें। इसके बाद चावल को मंदिर के आसपास बैठे गरीबों या जरूरतमंदों में दान में दे दें। इससे आपकी आर्थिक समस्याएं दूर होंगी। साथ ही साथ आप सदैव भगवान भोले शंकर की कृपा के पात्र बनेंगे। प्रत्येक पांच सोमवार को आपके द्वारा यह उपाय अपनाने से आपके वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं समाप्त होंगी। चावल का सेवन अधिकांश घरों में लगभग रोज किया जाता है। इसकी हमें वास्तविक धार्मिक विधि की जानकारी नहीं होती है। इसके अभाव में हम कई बार चावल का अनादर कर बैठते हैं, जो हमारे जीवन हेतु बुरे परिणाम लेकर आता है। आपको चावल के सेवन में उक्त बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
चावल का सेवन कभी भी सूर्यास्त के बाद न करें
चावल का सेवन कभी भी संध्याकालीन में सूर्यास्त के पश्चात नहीं करना चाहिए। यह विज्ञान की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है एवं अध्यात्म में भी इसे चावल के सेवन हेतु नियम माना जाता है। चावल को कभी भी झूठा करके नहीं छोड़ा जाता है, इससे देवान्न का अपमान होता है। इसके अतिरिक्त आप इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी आप भोजन परोसे, तो चावल सदैव थाली के दाहिने और रखा हो यह चावल के सेवन हेतु शुभ मानी जाती है।