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मनोकामनाएं पूरी करनी हैं तो आइए बाबा हरिहरनाथ की शरण में, हरि व हर को राम ने साधा, हरिहरनाथ में साथ हैं विष्णु व शिव…

मनोकामनाएं पूरी करनी हैं तो आइए बाबा हरिहरनाथ की शरण में, हरि व हर को राम ने साधा, हरिहरनाथ में साथ हैं विष्णु व शिव…

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 vishnu and shiva are together in haiharnath : हरि व हर को राम ने साधा। हरिहरनाथ में एक साथ हैं विष्णु और शिव। भगवान शिव की पूजा पूरे देश में होती है। इनके मंदिर भी काफी ज्यादा हैं। उस तुलना में विष्णु के मंदिर कम हैं। दोनों के भक्तों में पहले वैर का भाव था। कई ग्रंथों में इसके प्रमाण मौजूद हैं। बाद में भक्तों के संबंध सुधरे। यहां तक कि हरि (विष्णु) और हर (शिव) ने एक-दूसरे की पूजा कर उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके बाद भी बहुत कम मंदिरों में दोनों की एक साथ पूजा होती है। ऐसा ही मंदिर है हरिहरनाथ। इसके एक ही गर्भगृह में दोनों बिराजते हैं।

हरिहरनाथ में एक साथ होती है विष्णु व शिव की पूजा

बिहार सोनपुर में हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है। यहां विष्णु और शिव की प्रतिमा एक साथ स्थापित है। उनकी पूजा भी साथ ही होती है। गंगा व गंडक के संगम पर स्थित यह स्थान पवित्र माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। वे स्नान कर हरिहरनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। बाबा हरिहर नाथ का मंदिर पौराणिक है। गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिंदुओं के परम आस्था का केंद्र है। बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया। अभी जो मंदिर बना है, उसकी मरम्मत राजा राम नारायण ने करवाई थी। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है। पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों।

भगवान राम ने की थी हरिहरनाथ की स्थापना

पुराणों में वर्णित गज और ग्राह का युद्ध स्थल है सोनपुर। यहीं पर हरिहरनाथ का मंदिर है। इसे त्रेता युग का माना जाता है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण भगवान राम ने किया था। उस समय वे सीता स्वयंवर के लिए जा रहे थे। तब हरि व हर को राम ने साधा। उन्होंने यात्रा मार्ग में ये मंदिर बनवाया था। बाद में भक्तों ने शिव के साथ विष्णु को भी स्थापित कर दिया है। इसलिए बड़ी संख्या में भक्त वहां पहुंचते हैं। सावन के सोमवार को श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है।

मनोकामनाएं होती हैं पूरी

इस मंदिर की मान्यता बहुत अधिक है। भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि कोई भी भक्त यहां से निराश नहीं लौटता है। राजनेता, अधिकारी और उद्योगपति बाबा हरिहरनाथ का आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर में सभी तरह के संस्कारों के कराए जाने का इंतजाम भी है। मंदिर के बगल में आवासीय धर्मशालाएं भी हैं। कई सालों तक महंथ अवध किशोर गिरी हरिहर नाथ मंदिर के महंथ थे। उनका आठ अप्रैल 2006 में निधन हो गया। बिहार के अति महत्वपूर्ण मंदिरों में शुमार हरिहर नाथ मंदिर की व्यवस्था अब धार्मिक न्यास बोर्ड देखता है। 

कैसे पहुंचेंगे हरिहरना

सोनपुर रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख स्टेशनों से सीधे रेल मार्ग से जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर की दूरी तीन किलोमीटर है। हाजीपुर स्टेशन भी रेल व बस मार्ग से जुड़ा है। पटना के माध्यम से हवाई मार्ग से भी जुड़ा है। हाजीपुर से इस मंदिर की दूरी छह किलोमीटर है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु हाजीपुर में रहकर मंदिर जा सकते हैं। यहां सालों भर भीड़ रहती है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़ा मेला लगता है। सोमवार को, खासकर सावन में मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड उमड़ती है। बहुत ठंड और बरसात के मौसम को छोड़कर हर समय यहां आने के लिए उपयुक्त है। चूंकि हरि व हर को राम ने साधा इसलिए यह दोनों को मानने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।

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