National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अयोध्याधाम में नवनिर्मित भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अद्भुत समावेश है। इसमें चार संस्थानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पीआईबी की रिलीज में डॉ. सिंह के हवाले से कहा गया है कि इन चार संस्थानों में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान हैदराबाद, इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु और इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर शामिल हैं।
रुड़की ने श्रीराम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया
केंद्रीय मंत्री डॉ. सिंह ने कहा है कि रुड़की के संस्थान ने श्रीराम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया है। हैदराबाद के संस्थान ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए हैं। बेंगलुरु के संस्थान ने सूर्य तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की है। पालमपुर के संस्थान ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं।
उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में सीएसआईआर की प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज प्रौद्योगिकी भारतीय अमृतकाल के दौरान आत्मनिर्भर और विकसित भारत@2047 के रूप में उभरने के शिखर पर है। डॉ. सिंह ने कहा कि श्रीराम मंदिर का मुख्य भवन राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से निकाले गए बलुआ पत्थर से बना है। इसके निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे और इस्पात का उपयोग नहीं किया गया है। यह तीन मंजिला मंदिर भूकंपरोधी है। यह 2,500 वर्षों तक रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के मजबूत भूकम्पीय झटकों को बर्दाश्त कर सकता है।
संरचनात्मक देखभाल की निगरानी में अहम भूमिका
रुड़की का संस्थान प्रारंभिक चरण से ही मंदिर के निर्माण में शामिल है। संस्थान ने मुख्य मंदिर के संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक तंत्र को डिजाइन करने, मंदिर की नींव के डिजाइन की जांच और मुख्य मंदिर की संरचनात्मक देखभाल की निगरानी में योगदान दिया है। इस भव्य भवन के निर्माण में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया गया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि श्रीराम मंदिर की अनूठी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर वर्ष श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम के विग्रह के माथे पर पड़ेंगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान बेंगलुरु ने सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की। डॉ. सिंह ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सीएसआईआर भी शामिल होगा।