Bhopal News : मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला और उससे जुड़े कमाल मौला मकबरा परिसर की सर्वे रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच को सौंप दी गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एसआई) के वकील हिमांशु जोशी ने 2,000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को सौंप दी है।
1700 से ज्यादा अवशेषों का एनालिसिस
2170 पन्नों की रिपोर्ट में एएसआई ने 1700 से ज्यादा अवशेषों का एनालिसिस कर यह माना है कि भोजशाला परिसर को क्षतिग्रस्त कर उसका स्वरूप बदल गया। यहां मौजूद स्तंभों की कला और वास्तु कला से पता चलता है कि वह मूल रूप से मंदिरों का हिस्सा थे।
22 जुलाई को होगी मामले की सुनवाई
मीडिया से बातचीत में जोशी ने कहा कि रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है और बताया कि हाई कोर्ट 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा। 4 जुलाई को हाई कोर्ट ने एएसआई को विवादित 11वीं शताब्दी के स्मारक के परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था। यह परिसर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का विषय है।
हिंदू भोजशाला को देवी सरस्वती का मंदिर मानता है
हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। हाई कोर्ट ने इसी साल 11 मार्च को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की याचिका पर पुरातत्व अनुसंधान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए देश की प्रमुख एजेंसी एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था। बाद में एएसआई ने रिपोर्ट जमा करने के लिए और समय मांगा। एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में खत्म हुआ था। एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमान हर शुक्रवार यहां नमाज पढ़ सकते हैं।