Jamiat chief Madani’s provocative statement regarding Gyanvapi, said- set the law book on fire, GyanVapi case, Maulana Madani, Varanasi news, UP news, national news : एक ओर जहां ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में वाराणसी की जिला अदालत से पूजा की अनुमति मिलने के बाद वहां अखंड रामायण पाठ हो रहा है। सर्वे के दौरान वहां मिलीं 10 मूर्तियों में से आठ मूर्तियों को स्थापित भी कर दिया गया है। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत के निर्णय को ऊपरी अदालत में चुनौती भी दी जा रही है। वहीं इस बीच अब पूरे विवाद पर जमीयत उलमा-ए-हिंद का बयान सामने आया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस मामले में भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जहां मस्जिद है, वहां मंदिर था, इसका कोई भी प्रमाण नहीं है। उस परिसर में मंदिर के लिए कोई स्थान नहीं है। लेकिन हां, यदि आप इसके आसपास जाएंगे तो वहां मंदिर ही मंदिर होंगे।
देश में आपसी दूरी पैदा करने की कोशिश हो रही है
मौलाना मदनी ने कहा कि यदि वहां मंदिर होता तो जिस तहखाना में मूर्ति लाकर रखी गई है और जिस मूर्ति पर रात में पूजा की गई है, यह मूर्ति बाहर से नहीं लाई जाती। यहां प्रारंभ से ही कोई मूर्ति रही होगी। लेकिन यहां प्रारंभ है से ही कोई मूर्ति नहीं है। फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि यहां पहले से ही मंदिर था और उसी जगह पर मस्जिद बनाई गई है? ज्ञानवापी मामले पर बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि ऐसे फैसले से देश में आपसी दूरी पैदा करने की कोशिश की हो रही है। उन्होंने कहा कि, कानून की किताबों को आग लगा दो। अगर यही चलता रहा तो किसी भी धर्म को फैसला नहीं मिलेगा।
कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को राहत देने से किया इनकार
आपको बताते चलें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को राहत देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट में वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सीलबंद तहखाने के भीतर पूजा करने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने महाधिवक्ता को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर व बाहर कानून व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 6 फरवरी को होगी।