rAJSTHAN: The country’s only Vibhishan temple is in Kota, Hiranyakashyap is burnt in Holi, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : राजस्थान में कोटा के कैथून गांव में देश का एकमात्र विभीषण का मंदिर है, जहां हर साल बड़ी संख्या श्रद्धालु आते हैं। होली पर इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर 5000 हजार साल पुराना है। मंदिर से एक पौराणिक कहानी जुड़ी है। कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के समय शिवजी ने मृत्युलोक की सैर करने की इच्छा प्रकट की। इसके बाद विभीषण ने कांवड़ पर बिठाकर भगवान शंकर और हनुमान को सैर कराने की ठानी। इस पर शिवजी ने शर्त रख दी कि जहां भी उनका कांवड़ जमीन को छुएगा, यात्रा वहीं खत्म हो जाएगी। विभीषण शिवजी और हनुमान को लेकर यात्रा पर निकले। कुछ स्थानों के भ्रमण के बाद विभीषण का पैर कैथून कस्बे में धरती पर पड़ गया और यात्रा खत्म हो गई। कांवड़ का अगला सिरा करीब 12 किलोमीटर आगे चौरचौमा में और दूसरा हिस्सा कोटा के रंगबाड़ी इलाके में पड़ा। ऐसे में रंगबाड़ी में भगवान हनुमान और चौरचौमा में शिव शंकर का मंदिर स्थापित किया गया और जहां विभीषण का पैर पड़ा, वहां विभीषण मंदिर का निर्माण करवाया गया।
होली में लगता है विभीषण मेला*
होली के मौके पर कैथून में विभीषण मेला लगता है। सात दिवसीय इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। पिछले दो साल से इस मेले पर कोरोना का साया है। इस बार यह मेला सिर्फ एक दिन ही आयोजित किया जा रहा है।
भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया
कैथून की सबसे खास बात यह है कि देश भर में यहां सिर्फ हिरण्यकश्यप का पुतला दहन किया जाता है। कहा जाता है कि होलिका जब जल गई तो हिरण्यकश्यप को गुस्सा आ गया और वह प्रह्लाद को मारने के लिए दौड़ा। तब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया और भक्त प्रह्वलाद की रक्षा की थी। इसलिए यहां पर होलिका दहन के दूसरे दिन हिरण्यकश्यप के पुतले का दहन किया जाता है।