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खरमास में इन धार्मिक उपायों को करेंगे, तो पायेंगे श्रीहरि विष्णु की कृपा, मां लक्ष्मी भी होंगी प्रसन्न

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Dharma adhyatma : खरमास में सभी शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है। मांगलिक कार्य भी नहीं सम्पन्न होते। लेकिन, बताया जाता है कि खरमास में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। …तो आइए जानते हैं, आपको इस अवधि में किस तरह श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए। खरमास में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। खरमास के दौरान भगवान सूर्य नारायण धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इस कारण इसे धनुर्मास भी कहा जाता है। खरमास की समाप्ति के बाद सभी शुभ कार्य किये जाते हैं। खरमास के दौरान विवाह, मुंडन, वाहन खरीदना और घर खरीदने आदि के शुभ कार्यों को करने पर रोक लगा दी जाती है।

सूर्य की ऊर्जा में कमी आ जाती है

धार्मिक शास्त्रों के मुताबित खरमास के दौरान सूर्य की ऊर्जा में कमी आने के साथ ही स्थिति भी कमजोर हो जाती है। मान्यता के अनुसार, इस दौरान सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। इस वजह से सभी शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है और मांगलिक कार्य भी नहीं सम्पन्न होते। लेकिन, बताया जाता है कि खरमास में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। लेकिन, यदि आपके मन में यह सवाल है कि इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा कैसे करनी चाहिए, तो आइए जानते हैं…

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ऐसे करें श्रीहरि विष्णु की पूजा

दरअसल, गरमा की अवधि में शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। लेकिन, खरमास में पूजा-पाठ से व्यक्ति को विशेष लाभ हो सकता है। वहीं, इन दिनों जगह के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। इस दौरान भगवान श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करना चाहिए। जो व्यक्ति खरमास में भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि और धन-सम्पदा बनी रहती है। साथ ही, व्यक्ति को नौकरी व कारोबार में भी लाभ मिलता है।

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✓भगवान श्रीहरि के पूजन के लिए सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर लें।फिर भगवान श्रीहरि विष्णु के व्रत का संकल्प लेते हुए विष्णु मंत्रों का जाप करें।

✓इसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछा कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। पूजा के अंत में आरती करें और पूजा में हुई भूल के लिए माफी मांगें।

इन मंत्रों का करें जाप

खरमास के दौरान व्यक्ति को पुरुष सूक्त, सत्यनारायण कथा, विष्णुसहस्त्रनाम और भागवत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से लाभ हो सकता है।

भगवान विष्णु की आरती

खरमास में भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे॥ ॐ जय…॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का।

सुख-सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय ! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

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