Haritalika Teej 2024: इस बार भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि शुक्रवार 6 सितंबर 2024 को हरितालिका तीज व्रत है।सुहागन अपने अखण्ड सौभाग्य हेतु इस व्रत को करती हैं। शुक्रवार 6 सितंबर को हरितालिका तीज पूजन प्रातः सूर्योदय से लेकर दिवा 3:00 बजे के मध्य तक कर लेनी चाहिए। क्योंकि उसके उपरांत चतुर्थी तिथि का शुभारंभ हो रहा है। अतः इस दिन हरितालिका पूजन हेतु शुभ मुहूर्त प्रातः 5:30 बजे से दिवा 10:09 बजे तक एवं दिवा 11:19 बजे से दिवा 1:16 बजे तक है। शुक्रवार 6 सितंबर को ही प्रदोषव्यापिनी चतुर्थी तिथि होने के कारण इसी दिन चौठचंद्र (चौरचन), पत्थर चौठ एवं कलंक निवारण चतुर्थी व्रत भी है। चौठचंद्र (चौरचन), कलंक निवारण चतुर्थी पूजन हेतु सर्वोत्तम मुहूर्त संध्या 6:08 बजे से रात्रि 7:44 बजे तक है। हरितालिका तीज व्रत का पारण शनिवार 7 सितंबर की प्रातः सूर्योदयोपरांत किसी भी समय किया जा सकता है।
हरितालिका तीज पूजन का शुभ मुहूर्त
हरितालिका तीज पूजन प्रातः सूर्योदय से लेकर दिवा 3:00 बजे के मध्य तक कर लेनी चाहिए क्योंकि उसके उपरांत चतुर्थी तिथि का शुभारंभ हो रहा है। अतः इस दिन हरितालिका पूजन हेतु शुभ मुहूर्त प्रातः 5:30 बजे से दिवा 10:09 बजे तक एवं दिवा 11:19 बजे से दिवा 1:16 बजे तक है। शुक्रवार 6 सितंबर को ही प्रदोषव्यापिनी चतुर्थी तिथि होने के कारण इसी दिन चौठचंद्र (चौरचन), पत्थर चौठ एवं कलंक निवारण चतुर्थी व्रत भी है। चौठचंद्र (चौरचन), कलंक निवारण चतुर्थी पूजन हेतु सर्वोत्तम मुहूर्त संध्या 6:08 बजे से रात्रि 7:44 बजे तक है।
क्यों मनाया जाती है हरितालिका तीज
सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है की हरितालिका तीज पर्व करने से सुहाग अखंड रहता है। जीवन में दुखों का नाश होता है। पति की उम्र लंबी होती है। घर परिवार में खुशी और धन-धान्य रहता है।
कैसे और कब शुरू हुई तीज मनाने की परंपरा
108वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया, तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवन शिव पति रूप में प्राप्त हुए। तभी से यह व्रत मनाने की परंपरा शुरू हुई। हरितालिका तीज के मौके पर जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव -पार्वती की पूजा- अर्चना करती हैं, उनका सुहाग लम्बी अवधि तक बना रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरितालिका तीज मानने वाली महिलाओं के प्रति निरोग भी रहते हैं।