Importance of trees : भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना अपना महत्व है। ऐतिहासिक काल से पेड़-पौधों को बड़ा ही पवित्र स्थान है। लम्बे समय से उनको पूजा जाता रहा है। जब से विज्ञान ने यह सिद्ध किया है की पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। लोगों के विश्वास में मज़बूती आयी है साथ ही पाप-पुण्य की अवधारणा भी उसके साथ मज़बूत होती जा रही है। वृक्षों का संरक्षण पुण्य व उनका विनाश करना पाप स्वरूप माना जाने लगा है। वृक्षों का महत्त्व है।
धर्मग्रंथों में वृक्ष
धर्म ग्रंथों के अनुसार जो मनुष्य वृक्षारोपण करता है, वे वृक्ष उसके पुत्र बनकर जन्म लेते हैं। जो व्यक्ति वृक्षों का दान करता है, वृक्षों के पुष्पों चढ़ा कर देवताओं को प्रसन्न करता है। जल से पितरों को प्रसन्न करता है। वह समृद्धिशाली होता है। ऋग्वेद में वृक्षों को काटने या नष्ट करने की कड़ी निंदा की गई है। वृक्षों का महत्त्व है।
मा काकम्बीरमुद्वृहो वनस्पतिमशस्तीर्वि हि नीनशः ।
मोत सूरो अह एवा चन ग्रीवा आदधते वेः॥
-ऋग्वेद 6/48/17
अर्थात् – जिस प्रकार बाज पक्षी दूसरे पक्षी की जान ले लेता है, उन्हें पीड़ा पहुंचाता है तुम वैसे बिलकुल मत बनो और इन वृक्षों को पीड़ा न पहुचाएं। इनका अपमान मत करो, ये पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं को शरण देते हैं।
मनुस्मृति में वृक्षों की योनि पूर्व जन्म के कर्मों के कारण मानी गई है। परमात्मा ने संसार में वृक्ष को स्थान ही परोपकार के लिए दिया है, ताकि वह सदैव परोपकार ही करता रहे। खुद भीषण धूप, गर्मी में रहकर दूसरों को छाया प्रदान करना और खुद को दूसरों के कल्याण के लिए अर्पित कर देना। वृक्षों की छाया में बैठकर ही न जाने कितने ही ऋषि-मुनियों ने तपस्याएं की हैं। वृक्षों का महत्व जानें, इससे बदल सकते हैं जीवन।
वृक्षों का महत्व जानें
‘वट सावित्री’ के अवसर पर स्त्रियां हमेशा से ही बरगद के वृक्ष की पूजा करती आयी हैं। गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसके पत्ते पर भोजन करना शुभ माना जाता है। पारिजात वृक्ष को कल्पवृक्ष मानकर उसकी पूजा की जाती है। अशोकाष्टमी के दिन अशोक वृक्ष की पूजा मनोकामना पूर्ती के लिए की जाती है। आंवले के वृक्ष में भगवान् विष्णु का निवास मानकर कार्तिक मास में इसकी पूजा, परिक्रमा कर स्त्रियां अपने सुहाग के लिए पूजा करती हैं। आम के पत्ते, मंजरी, छाल और लकड़ी यज्ञ व अनुष्ठानों में उपयोग की जाती हैं। पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है।
वट की पूजा से मिलता है संतान सुख
इसको जल चढ़ाने तथा इसकी पूजा करने से संतान सुख मिलता है। इसके तने पर मोलकी बांधना और परिक्रमा करने का भी विधान शास्त्रों में बताया गया है। तुलसी की नित्य पूजा कर जल चढ़ाना और इसके पास दीपक जलाकर रखना इसका अपना अलग महत्त्व है तथा हिन्दू समाज की औरतों का नित्य कर्म। भगवान विष्णु की प्रिय मानकर इनका पूजन किया जाता है। तुलसीदल का काफी महत्त्व माना जाता है। वृक्षों का महत्त्व है।