Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त यानी सर्वार्थ सिद्धि योग में इस तरह पाएं मनचाही सफलता

शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त यानी सर्वार्थ सिद्धि योग में इस तरह पाएं मनचाही सफलता

Share this:

sarwarth siddhi yog,Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, dharm adhyatm, religious : सर्वार्थ सिद्धि योग में पाएं मनचाही सफलता। घर में मांगलिक कार्यों का आयोजन अक्सर होता ही रहता है। कभी पूजा, तो कभी विवाह, गृह प्रवेश या फिर कोई भी अन्य संस्कार। शुभ कार्य तो हर समय होते ही रहते हैं किन्तु जब कोई ग्रह अपना स्थान बदल लेता है या फिर अन्य कोई ग्रह अस्त हो जाते हैं तो ऐसे समय में शुभ कार्यों को भी रोकना पड़ता है। कुछ कार्य इतने महत्त्वपूर्ण होते हैं की उनको टालना किसी कारणवश संभव नहीं हो पाता है। ऐसे कार्यों को सर्वार्थ सिद्धि योग में पूर्ण किया जा सकता है। आइए जानते हैं सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में।

सर्वार्थ सिद्धि योग क्या होता है 

सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होता है। हम सभी जानते हैं की बिना शुभ मुहूर्त के कोई भी कार्य करना लाभकारी नहीं होता है। लेकिन कई बार कुछ कार्य इतने जरुरी हो जाते है की उनको करना अति आवश्यक होता है। ऐसे में शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। शास्त्रों में इसका समाधान दिया गया है। ऐसी स्थिति में आप उस कार्य को सर्वार्थ सिद्धि योग में संपन्न कर सकते है। अर्थात किसी शुभ कार्य को आप इस योग में कर सकते है। इन मुहूर्तों में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती है। ये मुहूर्त अपने आप में सिद्ध मुहूर्त होते है। इसके अलावा कुयोग को समाप्त करने की शक्ति भी इस मुहूर्त में होती है।

कैसे पहचानें इस योग को

सर्वार्थ सिद्धि योग में पाएं मनचाही सफलता। यह एक अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग एक बहुत ही शुभ समय है। इसकी गणना नक्षत्र, वार की स्थिति के आधार पर की जाती है।

जैसे कि

1.सोमवार को रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण और अनुराधा नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

2. मंगलवार को उत्तराभद्रापद, अश्विनी, कृतिका तथा नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

3. बुधवार को रोहिणी, हस्त, कृतिका, अनुराधा और मृगशिरा नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

4. गुरुवार को अनुराधा, रेवती, पुनर्वास, अश्विनी तथा नक्षत्र पड़ने पर भी यह सिद्धि योग होता है।

5.शुक्रवार को अनुराधा, अश्विनी, रेवती तथा नक्षत्र पड़ने पर ये योग बनता है।

6.शनिवार को रोहिणी, श्रवण और स्वाति नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है !

7.रविवार को मूल, अश्विनी, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, पुष्य, उत्तराभाद्रपद और उत्तराषाढ़ पड़ने पर यह सिद्धि योग बनता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्य करने से हर तरह के कार्य में सफलता प्राप्त होती है। वार और तिथि के योग से ‘सिद्धियोग’ होता है। वार तथा चंद्र नक्षत्र के योग द्वारा ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ बनता है। यह योग सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कोई भी नया कार्य जो इस योग में प्रारंभ किया जाए वह निश्चित रूप से सफलतापूर्वक संपन्न होता है तथा इच्छित फल प्रदान करता है। यह योग विशेष वारों को पड़ने वाले विशेष नक्षत्रों के योग से निर्मित होता है। इस शुभ योग में शुभ कार्य आरंभ किए जा सकते हैं परंतु कुछ कार्य वर्जित भी होते हैं।

शुभ कार्य

सर्वार्थ सिद्धि योग में ये काम किये जा सकते हैं। नया व्यवसाय या कोई कार्य प्रारंभ करने के लिए यह अत्यंत शुभ और प्रभावी समय है। साथ ही मकान खरीदना हो, दुकान का उद्घाटन करना हो, ऑफिस का उद्घाटन करना हो, वाहन खरीदना हो, क्रय-विक्रय करना हो, मकान की रजिस्ट्री करनी हो, मकान की चाभी लेनी हो, मकान किराए पर देना हो, सगाई करनी हो, रोका करना हो या टीका करना हो इन सभी कार्यों को आप बेहिचक इस मुहूर्त में कर सकते है। इस मुहूर्त में किया गया हर कार्य सफल होता है और व्यक्ति को लाभ प्रदान करता है।

वर्जित कार्य

यह योग विवाह के लिए ठीक नहीं होता है। इस योग में यात्राएं करना और गृह प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता है। इन चीजों को सर्वाथ सिद्धि योग में नहीं करना चाहिए।

इन परिस्थितियों में यह योग अशुभ होता है।

1) गुरु पुष्य योग से निर्मित हो या

2)सनी रोहणी योग से निर्मित हो

3)मंगल अश्विनी योग से निर्मित हो

तो यह योग अशुभ माना जाता है। इसलिए यह समय पर कोई भी शुभ कार्य नहीं करें।

Share this: