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जीवन गति सुधारनी है,तो ग्रहों की शांति के उपाय में शनि, मंगल, चंद्रमा को जानें

जीवन गति सुधारनी है,तो ग्रहों की शांति के उपाय में शनि, मंगल, चंद्रमा को जानें

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For Planetary peace Know about Saturn, Mars, Moon, Rahu and Ketu : ग्रहों की शांति से सुधर सकती है जीवन की गति। पहले मैंने सूर्य, बृहस्पति, शुक्र और बुध के बारे में बताया। इस बार शेष पांच ग्रहों का संक्षिप्त परिचय, प्रभाव और उपाय की जानकारी दे रहा हूं। इसकी सहायता से स्वयं आप अपनी समस्या के कारण को समझ सकते हैं। उसके आधार पर सुधार के ठोस उपाय कर सकते हैं। इसमें न तो किसी ज्योतिषी की आवश्यकता पड़ेगी और न पंडित की। शुरुआत शनि ग्रह से।

न्याय करते हैं शनि

शनि मनुष्यों के कर्म के आधार पर न्याय करते हैं। इनकी दृष्टि क्रूर मानी जाती है। कर्मों का हिसाब करने के कारण इनका प्रभाव गंभीर होता है। कुंडली में मृत्यु स्थान, जन्म स्थान अथवा चतुर्थ स्थान में रहे तो वह मृत्यु तुल्य कष्ट भोगेगा। शनि हर राशि में 30-30 महीने रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। इनके अधिदेवता प्रजापति तथा प्रत्याधिदेवता यम हैं। इनकी वक्र दृष्टि से पेट और पैर की बीमारी, गैस, पेड़ से गिरना, पत्थर से चोट लगना, वाहन दुर्घटना आदि का खतरा बना रहता है। इनकी अच्छी दृष्टि आदमी को राजा से रंक बना देती है। दूसरी ओर इनकी व्रक दृष्टि बहुत परेशान करती है। ऐसे में बचाव का उपाय करना या कराना श्रेयस्कर होता है। ग्रहों की शांति के उपाय में जानें शनि के बारे में।

जानें शनि की शांति के उपाय

शनि की शांति के लिए वैदिक मंत्र है- ऊं शन्नो देवीरभिष्टयऽआयो भवन्तु पीतपे। शं यो रमिस्रवंतु न:। तांत्रिक मंत्र है- ऊं ऐं हृीं श्रीं शनैश्चराय: नम:। जप संख्या 92 हजार है। इसका दशांश 9200 तर्पण व इसका दशांश 920 मार्जन के लिए हवन करें। हवन में शमी की लकड़ी का उपयोग श्रेष्ठ होता है। अन्य उपायों में नीलम को चांदी में बनवाकर मध्यमा अंगुली में शनिवार को मध्याह्न काल में धारण करें। विकल्प में शनिवार को गिरे काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं। बिच्छ या धतूरे की जड़ को काला कपड़ा में बांधना भी उपयोगी होता है। साथ ही शनिवार को काले कुत्ता को भोजन कराना चाहिए। काली उड़द, काली तिल, सरसों तेल का दान भी उपयोगी है। शनिवार का व्रत भी कर सकते हैं। हनुमान व शिव जी की उपासना से भी फायदा होता है।

जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है मंगल

मंगल को पापी ग्रह कहा जाता है। जीवन के प्रारंभिक 28 से 32 साल तक अधिक प्रभावी होता है। प्रतिकूल हो तो वैवाहिक जीवन को खत्म कर देता है या अस्त-व्यस्त कर देता है। विवाह में कुंडली में इस ग्रह का मिलान आवश्यक माना जाता है। अन्य रूप में भी यह बेहद प्रभावित करता है। माता और भाई के सुख में इसकी अहम भूमिका होती है। यह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। अनुकूल हो तो उच्च पद पर पहुंचा देता है। समाज में उसका दबदबा होता है। प्रतिकूल हो तो जातक को जिद्दी, उग्र, रक्त विकार और नेत्र विकार से पीड़ित रह सकता है। उसे धमनियों में समस्या, अस्थि-मज्जा रोग, गर्भपात आदि परेशानी हो सकती है। आतंकवादी, षडयंत्रकारी, दुराचारी आदि के मंगल प्रतिकूल होते हैं। ग्रहों की शांति के उपाय में अब जानें मंगल के बारे में।

ऐसे करें मंगल को शांत

मंगल की शांति का सबसे सरल उपाय हनुमान जी की पूजा-अर्चना है। मंगलवार को उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। मंगल का व्रत भी उपयोगी होता है। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं। रत्न में मूंगा व धातु में तांबा अनुकूल है। अतः तांबे में मूंगा की अंगूठी धारण करना चाहिए। मंत्रों की बात करें तो वैदिक मंत्र है- ऊं अग्निमूर्धा दिवः कुकुत्पतिः पृथिव्या अयम्। अपां रेतां सि जिन्वति। तात्रिक मंत्र है- ऊं अं अंगारकाय नमः। ऊं क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः—बीज मंत्र है। इसका जप भी कर सकते हैं। इनमें से किसी एक मंत्र का 40 हजार जप कर। दशांश हवन, फिर क्रमशः उसका दशांश तर्पण और मार्जन करें। उज्जैन में मंगल का जन्म स्थान है। वहां पूजा करने से फायदा होता है। लाल वस्त्र, लाल फल व मसूर की दाल का दान भी उपयोगी है।

चंद्रमा को अनुकूल करने के तरीके जानें

चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी हैं। इनकी कुल 27 पत्नियां हैं। वे विभिन्न नक्षत्रों के नाम से जानी जाती हैं। इनका पुत्र बुध हैं जो तारा से उत्पन्न हुए हैं। चंद्रमा की वक्र दृष्टि से अनिद्रा, कफ संबंधी रोग, पाचन संस्थान का बिगडऩा, अजीर्ण, ठंडक, बुखार, गठिया, मानसिक असंतुलन, पेट संबंधी बीमारियां आदि का खतरा रहता है। चंद्र देव की शांति के लिए

वैदिक मंत्र है। ऊँ इमं देवाऽअसपत्न र्ठ सुवध्वं महते क्षत्राय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्यै पुत्रम मुस्यै विष एष वोऽमीराजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना र्ठ राजा। तांत्रिक मंत्र है- ऊँ ऐं ह्रीं सोमाय नम:। जप संख्या 44 हजार है। क्रमशः इसका दशांश तर्पण, मार्जन व हवन करें। चाहें तो चांदी की अंगूठी में मोती धारण करें। खिडऩी की जड़ को सफेद कपड़े में सफेद धागे से बांधकर पहन सकते हैं। सोमवार का व्रत फायदा देता है। ग्रहों की शांति के उपाय में पढ़ रहे हैं चंद्रमा के बारे में।

राहु के बारे में जानें

बिना धड़ के सिर वाले हिस्से के कारण राहु ग्रह मंडलाकार है। यह कन्या राशि का स्वामी है। राहु का मुख भयंकर है। उनका रथ अंधकार रूप है। इसकी वक्र दृष्टि से दिल का दौरा, विष संबंधी समस्या, आत्महत्या, पाचन संस्थान की गड़बड़ी, काम में बाधा, बनते काम विगडऩे आदि की आशंका रहती है। शांति के लिए वैदिक मंत्र है- ऊँ कयानश्चित्रऽआभुवदूती सदावृध: सखा। कयाशचिष्ठयाऽवृता। तांत्रिक मंत्र है- ऊँ ह्रीं राहवे नम:। जप संख्या 72 हजार है। इसका दशांश 7200 तर्पण व इसका दशांश 720 मार्जन तंत्र से हवन करें। हवन में दूर्वा का प्रयोग अवश्प करें। अन्य उपाय में गोमेद को चांदी में बंधवाकर शनिवार के दिन मध्यमा अंगुली में धारण करें। चाहें तो चंदन या अश्वगांधा की जड़ को काले या भूरे कपड़े में बांधकर मंत्र से अभिषिक्त कर शनिवार को बांह पर बांधें। शनिवार को उपवास भी उपयोगी होता है।

केतु को इस तरह करें अनुकूल

राहु राक्षस का कटा धड़ केतु कहलाता है। केतु के अधिदेवता चित्रगुप्त हैं। इसका वर्ण धूम्र है। यह मीन राशि का स्वामी है। इसकी वक्र दृष्टि से घाव होना, दांत का सड़ना, जल जाना, पस दायक बीमारी एवं गर्भपात की आशंका रहती है। मंत्र द्वारा शांति के उपाय जानें। इसका वैदिक मंत्र है- ऊँ केतुं कृण्वन्न केतवे मर्या अपेशसे। समुषद्भिरजायथा:। तांत्रिक मंत्र है- ऊँ ऐं हृीं केतवे नम:। जप संख्या 68 हजार है। क्रमशः इसका दशांश हवन, तर्पण तथा मार्जन करें। हवन में शमी या दुर्वा की आहुति आवश्यक है। अन्य उपायों में लहसुनिया स्टोन को चांदी में बनवाकर शनिवार की रात्रि में धारण करें। रत्न संभव न हो तो वटवृक्ष के जड़ को काले कपड़े में बांधकर शनिवार की रात्रि में बांह पर बांधें। आशा करता हूं कि आपने ग्रहों की शांति के उपाय जान लिया होगा।

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