हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता…धरा से निकल कर धरा में समाने तक हैं माता सीता के अनेक प्रेरक दृष्टांत ! (2)
Mother Sita’s swayamvar and marriage with Shri Ram, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : जब सीता विवाह योग्य हो गयीं, तब उनके पिता राजा जनक ने उनके लिए स्वयंवर का आयोजन किया। उस स्वयंवर में जो भी शिव धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देता, उसका विवाह माता सीता से हो जाता। एक-एक करके कई महाबली योद्धाओं ने शिव धनुष को उठाने का प्रयास किया, लेकिन सब विफल रहे।
उस स्वयंवर में श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र व भाई लक्ष्मण के साथ पधारे थे। अंत में श्रीराम ने उस धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दी, जिसके फलस्वरूप माता सीता का विवाह श्रीराम से हो गया। उनके विवाह के पश्चात उनकी बाकी तीन बहनों का भी विवाह श्रीराम के छोटे भाइयों के साथ हो गया।
माता सीता का श्रीराम के साथ वनवास में जाना
विवाह के पश्चात माता सीता श्रीराम के साथ अयोध्या आ गयीं। कुछ समय के पश्चात कैकेयी के प्रपंच द्वारा श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास मिला। तब माता सीता ने भी अपना पत्नी धर्म निभाने के लिए उनके साथ वन में जाने का निर्णय लिया। हालांकि, सभी ने उन्हें बहुत रोका, लेकिन पति सेवा के लिए वे उनके साथ ही जाना चाहती थीं।
तब माता सीता व लक्ष्मण श्रीराम के साथ चौदह वर्ष के वनवास में चले गये। वहां जाकर उन्होंने एक साधारण वनवासी की भांति अपना जीवनयापन किया। अपने वनवास के अंतिम चरण में माता सीता श्रीराम व लक्ष्मण के साथ पंचवटी के वनों में रह रही थी।