Pious Ramjan (पावन रमजान) के चांद का दीदार शनिवार यानी 2 अप्रैल को हुआ। रविवार को पहला रोजा रखा जाएगा। लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली काजी ने इसका एलान किया है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के अनुसार अब 3 अप्रैल से एक महीने तक मस्जिदों और घरों में विशेष इबादतें की जाएंगी।
सब्र का इम्तिहान
रमजान का मुबारक महीना इस बार मोमिनों के सब्र का पूरा इम्तिहान लेगा। भीषण गर्मी में 15 घंटे से अधिक समय तक भूख और प्यास बर्दाश्त करनी होगी। नौतपा की गर्मी भी रोजेदारों का इम्तेहान लेगी।
रोजेदारों ने पूरी की तैयारी
खुदा के दरबार में अपनी अर्जी लगाने के लिए रोजेदारों ने भी पूरी तैयारी कर ली है। इस साल रोजा मोमिनों के लिए न सिर्फ खास है, बल्कि बेहद मुकद्दस भी माना जा रहा है। शहर की सभी मस्जिदों में रोजाना सामूहिक इफ्तार किया जाएगा।
रमजान अल्लाह का पाकीजा महीना
यह हैं रमजान की इबादतें रमजान अल्लाह का पाकीजा महीना है। इसे कुरआन का महीना भी कहा जाता है। रमजान में पांचों वक्त की नमाज के अलावा इशा की नमाज के बाद कुरआन का पूरे महीने सुनना जरूरी है। वहीं, रोजा इफ्तार करवाने में भी बड़ा शबाब मिलता है। लोग इफ्तार पार्टियां भी आयोजित करते हैं। गर्मी को देखते हुए मस्जिदों में विशेष इंतजाम भी किए गए हैं।
इस तरह रखना है रोजा
मौलाना सैफ अब्बास ने बताया कि रात के आखिरी पहर में सहरी (हल्का खाना खाकर) कर रोजा रखा जाता है। रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा आंख, हाथ, पैर, दिल, मुंह सभी का होता है, ताकि रोजा रखने वाला इंसान हमेशा बुराई से तौबा करता रहे। बुराइयों से बचता रहे। रोजा सूरज निकलने से लेकर डूबने तक का होता है। इस दौरान रोजेदार कुछ भी खा-पी नहीं सकता। रोजे की शुरुआत में फजर की नमाज होती है। रोजा खोलने के वक्त मगरिब की नमाज होती है।