Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

प्रह्लाद की है यह माला, जो भक्तों को आग से रखती है सुरक्षित, आइए जानें मथुरा के एक गांव की यह परंपरा

प्रह्लाद की है यह माला, जो भक्तों को आग से रखती है सुरक्षित, आइए जानें मथुरा के एक गांव की यह परंपरा

Share this:

Dharm adhyatma : विविधताओं भरे इस देश में आयोजित होने वाले पर्व-त्योहारों में भी कई विविधताएं देखने को मिलती है। समाज इसे अपनी परंपराओं के अनुसार मनाता है। अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक त्योहार होली हम हर साल मनाते हैं। कहीं रंगो की होली तो कहीं मिट्टी में सराबोर कर देने का खेल, कहीं लठमार होली तो कहीं सात दिनों तक चलने वाला रंगोत्सव विविधताओं को ही तो चरितार्थ करता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन का कार्यक्रम लगभग पूरे देश में होता है। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में इसलिए बैठ गई थी कि उसे आग उसे तो जला नहीं सकती, परंतु विष्णु के भक्त प्रहलाद इसमें जल जाएंगे, परंतु हुआ उल्टा, प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। मथुरा हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यहां के एक गांव में जलती होलिका होली को नंगे पांव पार करने का प्रचलन है और उसे लांघने वालों का बाल भी बांका नहीं होता। आइए इसके बारे में कुछ और जानकारी लें।

पुजारी परिवार को आया था स्वप्न और जमीन से निकाली गई थी प्रह्लाद की प्रतिमा

पूर्वजों से सुनी-सुनाई कहानी को दोहराते हुए मथुरा के फालैन गांव के ग्रामीण कहते हैं, इस गांव के पुजारी परिवार को एक सपना आया था, जिसमें उन्हें भक्त प्रह्लाद की प्रतिमा को जमीन से बाहर निकालने का आदेश दिया गया था। इस घटना के बाद से ही पुजारी परिवार का कोई एक सदस्य जलती होलिका को नंगे पांव पार करने की परंपरा निभाता है। जो भी व्यक्ति इसे निभाता है उसे एक माह पहले से ही कठिन व्रत, ब्रह्मचर्य और तप का नियम लेना होता है। वह लगातार पूजा-पाठ करता है इसके बाद ही वह इस कठिन रिवाज को निभाता है।

मंदिर में टंगी होती है माला, जिसे धारण कर धधकती आग में कूद जाता है पुजारी

कहा जाता है कि उस गांव के मंदिर में एक माला टंगा है, जो कि भक्त प्रह्लाद का है। होलिका की धधकती आग पर कूदने से पहले पुजारी उस माला को धारण करता है। मान्यता है कि यह माला ही है जो उसे आग से बचाती है और उसे किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता और वह सकुशल आग से बाहर निकल आता है।

Share this: