हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता…धरा से निकल कर धरा में समाने तक हैं माता सीता के अनेक प्रेरक दृष्टांत ! (5)
माता सीता को कुछ दिनों के पश्चात यह सूचना मिली कि उनके दोनों पुत्रों ने अयोध्या के राजमहल में श्रीराम व सभी प्रजवासियों के समक्ष रामायण कथा का वर्णन किया हैं। साथ ही लवकुश ने श्रीराम व माता सीता के पुत्र होने की बात सभी को बता दी है।तब श्रीराम ने माता सीता को राजमहल में आकर सभी के सामने प्रतिज्ञा लेकर यह बात स्वीकारने को कहा कि ये दोनों उनके व श्रीराम के पुत्र हैं। यह सुन कर माता सीता अत्यधिक क्रोधित हो गयीं तथा अयोध्या के राजमहल में जाकर यह घोषणा की कि यदि लवकुश श्रीराम व माता सीता के पुत्र हैं, तो इसी समय यह धरती फट जायें तथा वह इसमें समा जायें।
माता सीता के इतना कहते ही धरती फट पड़ी व उसमें से धरती माता अपने रथ पर प्रकट हुईं। माता सीता धरती माता के साथ उनके रथ पर बैठ गयीं तथा सभी को प्रणाम करके धरती में समा गयीं। इस घटना के पश्चात माता सीता पुनः अपने धाम वैकुण्ठ पहुंच गयीं तथा भगवान विष्णु के वहां आने की प्रतीक्षा करने लगीं।