Religious Story : भगवान विष्णु के अवतार की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी ‘पृश्नि- सुतपा’ से जुड़ती है। द्वापर में भगवान कृष्ण का अवतार माता देवकी और वसुदेव के घर हुआ। जिसकी पहली कड़ी ‘पृश्नि- सुतपा’ से जुड़ी है। भगवान विष्णु ने तीन बार इनके पुत्र रूप में जन्म लिया। कथा के अनुसार स्वायम्भुवमन्वन्तर में जब माता देवकी ने पहला जन्म लिया था, तब ‘पृश्नि’ तथा वसुदेव ‘सुतपा’ नामक प्रजापति थे। इन दोनों ने संतान प्राप्ति की कामना से कठोर तप किया। कभी सूखे पत्ते खाकर तो कभी हवा पीकर तमाम देवताओं का बारह हजार वर्षों तक तपस्या किया था।
‘पृश्नि- सुतपा’ ने प्रभु से की श्रीहरि जैसे पुत्र की याचना
इन दोनों ने इन्द्रियों का निग्रह किया। सालों की तपस्या से वर्षा, वायु, धूप, शीत आदि काल के विभिन्न गुणों को सहन किया और प्राणायाम से अपने मन को निर्मल किया। इस कठोर तपस्या, असीम श्रद्धा और प्रेममयी भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीविष्णु प्रकट हुए। उनके संकल्प और कामना से अभिभूत होकर उन दोनों से कहा- ‘तुम्हारी जो भी इच्छा हो माँग लो।’ तब उन दोनों ने आर्त भाव से प्रभु से श्रीहरि के समान पुत्र की याचना की। इसके बाद भगवान विष्णु उन्हें तथास्तु कहकर अन्तर्धान हो गये। भगवान ने तो भक्त की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर अपने जैसे पुत्र का वर तो दे दिया। परंतु जब उन्होंने आत्म अन्वेषण किया तब पाया कि उनके शील, स्वभाव, उदारता आदि गुणों से परिपूर्ण कोई अन्यत्र नहीं मिल पा रहा है। अंततः भगवान ने विचार किया कि मैंने उनको वर तो दे दिया कि मेरे-सदृश्य पुत्र होगा, परन्तु इसको मैं पूरा नहीं कर पाऊँगा क्योंकि संसार में वैसा अन्य कोई नहीं दिख रहा।
‘पृश्निगर्भ’ अवतार
उनके मन में विचार आया कि किसी को कोई वस्तु देने का वचन दे दिया हो यदि उसे पूरी ना कर सके तो उसके समान तिगुनी वस्तु देनी चाहिए। ऐसा विचार कर भगवान ने स्वयं उन दोनों के पुत्र के रूप में तीन बार अवतार लेने का निर्णय किया।भगवान विष्णु पहली बार ‘पृश्नि- सुतपा’ के पुत्र रूप में अवतरित हुए। उस समय उन्हें ‘पृश्निगर्भ’ के नाम से जाना गया।
पृश्नि- सुतपा’ का दूसरा जन्म अदिति- कश्यप के रूप में वामन अवतार
इस जन्म में माता पृश्नि ‘अदिति’ और सुतपा ‘कश्यप’ के रूप में पुनर्जन्म हुआ। भगवान अपने वचन के अनुरूप उनके पुत्र रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु दूसरी बार वामन के रूप में अवतरित हुए। जिसने अदिति और कश्यप के पुत्र के रूप मे ख्याति अर्जित की। यह उनका वामन अवतार है।
पृश्नि- सुतपा’ का तीसरा जन्म देवकी- वसुदेव के रूप में
कृष्ण अवतार
द्वापर में‘ पृश्नि- सुतपा’ का तीसरा जन्म हुआ। इस युग में प्रभु ने अधर्म के नाश के लिए ही भारतवर्ष में जन्म ग्रहण किया। इस समय अदिति ‘देवकी’ और कश्यप ‘वसुदेवजी’ के रूप में जन्म ग्रहण किया। इस तीसरी बार अपने वचन के अनुरूप भगवान विष्णु ने उनके पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का अवतार ग्रहण किया।