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Religion And Spirituality : सुख-सुविधाओं के बाद भी आपके घर में रहता है तनाव तो वास्तु शास्त्र के इन नियमों का करें पालन, सब कुछ हो जाएगा दुरुस्त

Religion And Spirituality : सुख-सुविधाओं के बाद भी आपके घर में रहता है तनाव तो वास्तु शास्त्र के इन नियमों का करें पालन, सब कुछ हो जाएगा दुरुस्त

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Vastu tips, Religion And Spirituality : घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र में कई नियमों की बात की गई है। यदि आपके घर में तनाव बना रहता है, और आपको सुकून की नींद नहीं आती है, परिवार में झगड़ा होता रहता है, तो आपको अपने घर के वास्तु दोष पर ध्यान देना चाहिए। ये वास्तु टिप्स आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। चाहे आप एक बंगले में रहें या एक छोटे से मकान में। घर के वास्तु का प्रभाव घर में रहने वाले हर सदस्य पर पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर हर सदस्य की सेहत और करियर पर भी प्रभाव पड़ता है। जानिए घर के लिए वास्तु के कुछ विशेष नियम।

घर बनाने से पहले भूमि पूजन जरूर करें

घर का निर्माण करने से पहले भूमि पूजन करना आवश्यक होता है। यह घर से जुड़े वास्तु नियमों का ध्यान रखते हुए होनी चाहिए। इसके बाद आपको यह निर्णय लेना होगा कि किस स्थान पर कौन सी चीज का निर्माण होगा और कौन सी चीजें शुभ फल देंगी। 

इन स्थानों पर घर नहीं बनाना चाहिए

वास्तु के अनुसार तिराहे या चौराहों पर वीरान और शोरगुल वाले स्थानों पर, शहर या गांव से दूर और अवैध गतिविधियों के समीप घर नहीं बनाना चाहिए। सड़क या गली के अंत में, जहां सड़क समाप्त होती है, वहां भी मकान नहीं बनाना चाहिए।

पुरानी लकड़ी, पुरानी ईंट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

वास्तु शास्त्र के अनुसार नये घर का निर्माण करते समय पुरानी लकड़ी, ईंट या शीशा का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस तरह के पुराने सामग्री को घर के किसी कोने में नहीं रखना चाहिए।

घर का मुख्यद्वार इस दिशा में होना चाहिए

वास्तु के अनुसार घर का प्रमुख द्वार ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशाओं में से किसी एक में स्थापित किया जाना चाहिए। मुख्यद्वार के सामने सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। यदि संभव हो तो सीढ़ियों के आरंभ और अंत में दरवाजा जरूर बनवाएं।

सीढ़ियों के लिए यह दिशा है शुभ

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में निर्मित सीढ़ियों के लिए दक्षिण, पश्चिम या उत्तर- पश्चिम दिशा शुभ मानी जाती है। उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में स्थित सीढ़ियों के वास्तुदोष से आर्थिक हानि, बीमारी और परेशानी हो सकती हैं। इसके अलावा घर के बीच स्थित खाली जगह यानी ब्रह्म स्थान हमेशा रिक्त रखनी चाहिए।

मुख्यद्वार पर शुभ और लाभ लिखना चाहिए

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की आंतरिक नकारात्मक ऊर्जा को रोकने के लिए घर के मुख्यद्वार पर रोली के सहारे दाईं ओर ‘शुभ’ और बाईं ओर ‘लाभ’ लिखने चाहिए। साथ ही, द्वार के ऊपर रोली से ‘ॐ’ का प्रतीक बनाया जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्तिक का प्रतीक बनाना भी शुभ माना जाता है। द्वार पर अशोक के पत्तों से बनी वंदनवार भी लगाई जा सकती है। इस प्रकार के कार्यों से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी कार्यों में समृद्धि आती है।

इस दिशा में बनाना चाहिए पूजा घर

घर के प्रत्येक कोने में देवी-देवताओं के चित्र या मूर्ति रखने की बजाय, पूजा स्थल बनाकर ईशान, उत्तर या पूर्व दिशा में पूजा करना विशेष फलदाई होता है।

यहां भूलकर भी ना रखें कचरा और कबाड़

घर की छत, बालकनी या सीढ़ी के नीचे कभी भी कबाड़ भरने की सलाह नहीं दी जाती है। गाड़ी को रखने के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे शुभ माना जाता है। इसी दिशा में ओवरहेड टैंक बनवाने की सलाह दी जाती है।

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