Akshy tritiya importance in Sanatan Dharm: अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन ही कई महत्वपूर्ण कार्य हुए। सब का वर्णन वेद शास्त्रों में भी है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
1.महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था।
2.द्वापर युग भी इसी दिन समाप्त हुआ था।
3.माँ अन्नपूर्णा का जन्म।
4.अक्षय तृतीया के दिन ही चिरंजीवी महर्षी परशुराम का जन्म हुआ था, इसीलिए परशुराम जन्मोत्सव इसी दिन मनाया जाता है।
5.आज के ही दिन कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
6.मां गंगा को धरती अवतरण का आशीर्वाद ब्रहृम लोक से इसी दिन मिला था।
7.आज के ही दिन सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया। वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू की थी।
8.जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
9.ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण।
10.प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट खोले जाते हैं।
11.बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन होते है।
12.ओड़िशा में जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को नीम लकड़ी से बनाना प्रारम्भ किया जाता है।
13.आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी।
इसी दिन हर साल से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। चार धाम हैं यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।
अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त
अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो ,यह अबुझ तिथि है। अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ, समृद्धि, आनंद व सफलता
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ, समृद्धि, आनंद और सफलता होता है और ‘तृतीय’ का अर्थ तीसरा होता है। हर महीनें शुक्ल पक्ष में तृतीय आती है, परन्तु वैशाख के दौरान आने वाली शुक्ल पक्ष में तृतीय को शुभ माना जाता है। यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व रखता है। इसदिन कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते है – जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन और वाहन आदि खरीदना।
अक्षय तृतीया पर बन रहा बेहद शुभ मुहूर्त
23 अप्रैल 2023 रविवार को तृतीया सुबह आठ बजे तक है। इसलिए अक्षय तृतीया रविवार को है, जबकि शनिवार को सुबह आठ बजे से तृतीया शुरू है। रविवार को दिन भर रोहिनी नक्षत्र है। शिवाजी जयंती और परशुराम जयंती शनिवार 22 अप्रैल को है। हयग्रीव जयन्ती, बद्री- केदारनाथ यात्रा, स्नान दान रविवार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया का दिन मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन सोने, चांदी आदि खरीदना शुभ माना जाता है, पंचांग के अनुसार, इस साल अक्षय तृतीया पर काफी शुभ योग बन रहा है।
सतुवान आज, सतुआ, आम व महुआ खाने का रिवाज
14 अप्रैल शुक्रवार को शाम 4-27 पर मेष राशि में सूर्य आ रहे हैं। इस दिन सतु सतुवान है। मेष की संक्रांति है।
इसी दिन स्नान दान होगा। इस दिन सतुआ, आम ,महुआ खाने का रिवाज है। शिवलिंग पर आज से जल कुम्भ रखा जाएगा जो कर्क की संक्रांति 17 जुलाई तक रहेगी। इस दिन मन्दिर में पानी से भरा घडा, सुराही, पंखा, जाता, जुता, पानी नारियल, ककड़ी, आदि का दान होता है
पंडित रामदेव पाण्डेय