Raksha bandhan, festival, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious : यह सर्वविदित है कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार को रेखांकित करने वाला त्योहार रक्षाबंधन सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हालांकि, इस बार रक्षाबंधन के दिन और शुभ मुहूर्त को लेकर दुविधा बनी हुई है। इस बार सावन माह की पूर्णिमा 30 अगस्त को है, लेकिन इस दिन भद्रा का साया है। अगर पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया हो तो राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में भद्राकाल के समापन के बाद ही राखी बांधनी चाहिए। यह काल 30 अगस्त को रात नौ बजकर दो मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद ही राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। आइए इस संबंध में और जानें…
… तो इसलिए रावण का हो गया था अंत, भद्राकाल में शिव करते हैं तांडव
पौराणिक कथाओं के अनुसार शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का अंत हुआ। रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया। इस वजह से ही भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। वहीं, एक मान्यता यह भी है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं। उस समय कुछ भी शुभ कार्य करने पर शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए भद्राकाल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
रात नौ के बाद और सुबह सात से पहले बंधवा लें राखी
30 अगस्त 2023 को मध्याह्न 12:20 से 1:54 तक राहुकाल रहेगा और प्रात: 10:19 मिनट से पंचक शुरू होगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त बहुत ही कम समय का है। 30 अगस्त को रात में 9 बजकर 2 मिनट पर भद्राकाल समाप्त होगा। वहीं सावन पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 7.05 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए रात में भद्रा खत्म होने के बाद और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले राखी बांधी जा सकती है।