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Religious: …क्या आपको पता है, आरा में भी ठहरे थे पांडव, कभी यह था घना वन क्षेत्र, आज…

Religious: …क्या आपको पता है, आरा में भी ठहरे थे पांडव, कभी यह था घना वन क्षेत्र, आज…

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, Ara news, Ara Samachar, मां aayran Devi, maa aranya devi : बिहार का यह वही शहर है, जिसकी चर्चा कई लोकोक्तियों से लेकर भोजपुरी फ़िल्म जगत में भी किया जाता। भोजपुरी फ़िल्म के इतिहास में कई नायक-नायिकाओं और गायकों को जन्म देने वाले इस शहर का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। यहां आरा शहर के शीश महल चौक से उत्तर-पूर्व छोर पर स्थित है आरण्य देवी का मंदिर। यह देवी नगर की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। बताया जाता है कि उक्त स्थल पर प्राचीन काल में सिर्फ आदिशक्ति की प्रतिमा थी। इस मंदिर के चारों ओर तब सघन वन था। पांडव वनवास के क्रम में यहां ठहरे थे और उन्होंने आदिशक्ति की पूजा-अर्चना की थी। तब  देवी ने युधिष्ठिर को सपने में संकेत दिया कि वह वहां आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित करे। आइये इस ऐतिहासिक महत्व वाले स्थल को और रेखांकित करें…

आरा से जुड़ीं कुछ खास बातें 

✓मां आरण्य देवी के नाम पर ही रखा शहर का नाम आरा रखा गया।

✓यह भी कहा जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जब बक्सर से जनकपुर धनुष यज्ञ के लिए जा रहे थे तो आरण्य देवी की पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने  सोनभद्र नदी को पार किया था।

✓बताया जाता है कि द्वापर युग में इस स्थान पर राजा मयूरध्वज राज करते थे। इनके शासनकाल में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ यहां आये थे।

✓श्रीकृष्ण ने राजा के दान की परीक्षा लेते हुए अपने सिंह के भोजन के लिए राजा से उसके पुत्र के दाहिने अंग का मांस मांगा। जब राजा और रानी मांस के लिए अपने पुत्र को आरा (लकड़ी चीरने का औजार) से चीरने लगे तो देवी प्रकट होकर उनको दर्शन दी थीं।

✓यह भी मान्यता है कि माता सती का एक अंग यहां भी गिरा था। 

✓आरा को शोध संगम क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था। शोध संगम स्थान का नाम त्रिपुरा रहस्य और मत्स्य पुराण में भी प्राप्त होता है। इसमें शोध संगम स्थान गंगा और सोन के संगम के विषय में वर्णन किया गया है। गंगा और सोन के संकिगम किनारे आरण्य वन था। आज भी भोजपुर जिला अंतर्गत आरा नगर से 10  किलोमीटर दूर पूरब क्षेत्र में कोईलवर प्रखंड के बिन्दगांवा ग्राम के पास गंगा का संगम वर्तमान में भी है

✓ इस मंदिर में स्थापित बड़ी प्रतिमा को जहां सरस्वती का रूप माना जाता है, वहीं छोटी प्रतिमा को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस मंदिर में वर्ष 1953 में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुघ्न व हनुमान के अलावा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है।

✓ नवरात्रि में रविवार को चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जा रही है। ऐसे में आज हम बता रहे हैं भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में पूर्वी-उत्तरी छोर पर स्थित मां आरण्य देवी के अति प्राचीन मंदिर के बारे में। इसी मंदिर के नाम पर इस शहर का नाम आरा पड़ा है। मंदिर का इतिहास रामायण काल और पांडव से भी जुड़ा है। 

 ✓मंदिर में काले पत्थरों की महा सरस्वती की बड़ी मूर्ति और महालक्ष्मी की छोटी प्रतिमा है। इस मंदिर को किला की देवी के नाम से भी जाना जाता है। 

✓ इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि ताड़का वध के बाद भगवान राम अपने गुरु विश्वामित्र और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ बक्सर से सीता स्वयंवर के लिए मिथिला जा रहे थे। आरा से गुजरते समय उन्होंने इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी।

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