Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, betel leaves : क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि सनातन धर्म में पान के पत्ते को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। बिना इसके पूजा क्यों अधूरी मानी जाती है। तो आपको बता दें, पान के एक-एक हिस्से में भगवान का वास होता है। मसलन पान के पत्ते के ऊपरी भाग में इंद्र और शुक्र का वास होता है तो बीच में मां सरस्वती का। नीचे के कोने में महालक्ष्मी तो पान के पत्ते के अंदर भगवान विष्णु निवास करते हैं। पत्ते के बाहर भगवान शिव के साथ-साथ कामदेव, पत्ते के बायीं ओर मां पार्वती, दाहिनी ओर भूमिदेवी, जबकि पूरे पत्ते पर सूर्यनारायण का वास होता है। पान के पत्तों का उपयोग करने से पहले किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइये डालते हैं एक नजर…
पान के पत्ते की में यह है खासियत
✓ पान ही वह पत्ता है, जिसमें प्रतीकात्मक तौर पर संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होना माना जाता है।
✓स्कंद पुराण के अनुसार पान के पत्तों की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और सर्वप्रथम समुद्र देव की पूजा में पान के पत्ते का उपयोग किया गया था।
✓कहा जाता है कि पान के पत्ते पर कपूर रखकर भगवान की आरती करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और घर में खुशहाली आती है।
✓पूजा के लिए पान के पत्ते खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि वह कटा-फटा न हो और न ही उसमें छेद हो। यह भी देखें कि पत्ते सूखे न हो वरना इससे व्यक्ति की पूजा पूर्ण नहीं होती।