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Religious : क्या आप जानते हैं पीपल के पेड़ का सामाजिक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व, यदि नहीं तो जान लीजिए

Religious : क्या आप जानते हैं पीपल के पेड़ का सामाजिक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व, यदि नहीं तो जान लीजिए

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm adhyatm : सनातन धर्म में जैसे हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है, वैसे ही यहां के एक-एक पेड़ का अपना आध्यात्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व है। इन्हीं पेड़ों में से कुछ पेड़ ऐसे होते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है। ऐसा ही एक पेड़ है पीपल। मान्यता है कि पीपल के पेड़ की पूजा और उसकी परिक्रमा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आखिर पीपल में ऐसी क्या बात है कि हिंदू धर्म में इसे इतना महत्व दिया गया है। आइए जानते हैं…

  • यह प्रमाणित हो चुका है कि पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा होती है, जो कि जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है।
  • मान्यता है कि पीपल के पेड़ में सभी प्रकार के देवी देवता निवास करते हैं। यदि घर में किसी सदस्य का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तो उसे पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है।
  • कहा जाता है कि पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से मानसिक शांति मिलती है। महर्षि शौनक ने भी पीपल के पेड़ की परिक्रमा को बहुत महत्वपूर्ण बताया है। सुबह मंगल मुहूर्त में पीपल की पेड़ की तीन या सात बार परिक्रमा की जाए तो इससे मन शांत रहता है और बुरे विचार नहीं आते।
  • कहते हैं कि अगर पीपल के पेड़ की प्रतिदिन परिक्रमा करें तो आर्थिक संकट टल जाते हैं।
  • कहते हैं कि शनिदेव यदि किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसके भाग्य के दरवाजे खुल जाते हैं और यदि रुष्ट हो जाएं तो बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष है तो शनिवार और अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। साथ ही सरसों के तेल का दिया भी जलना चाहिए। ऐसा करने से शनि का प्रकोप धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।

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