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Religious : यहां विश्व कल्याण के लिए 21 वर्षों से चल रहा अखंड संकीर्तन

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm adhyatm, Chatra News : भगवान के प्रति आस्था की कोई सीमा नहीं। जब बात अपने देश भारत की हो तो ईश्वर के प्रति विश्वास की यह लकीर और भी लंबी हो जाती है। यहां यूं ही ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष की तपस्या नहीं की थी। आज भी हिमालय की कंद्राओं में अगर कोई तपस्या में लीन बैठा है तो यह उसकी आस्था और भगवान के प्रति अटूट भरोसा ही है। इस बीच अगर बात झारखंड के चतरा की हो तो यहां के इटखोरी प्रखंड के भद्रकाली मंदिर का जिक्र सहसा जुबान पर आ जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां विश्व शांति की कामना के लिए लगातार 21 वर्षों से अखंड संकीर्तन चल रहा है। ईश्वर के प्रति यह अटूट विश्वास की बानगी ही है। आइए इस संबंध में और जानें…

बढ़ता गया कारवां, आज 80 गांव के लोग हैं साथ-साथ

अगर हम इस अखंड संकीर्तन की बात करें तो 21 सितंबर 2002 को पुरी के नए मठ के पीठाधीश सह चई समाज के गुरु स्वामी श्यामानंद जी महाराज व अन्य ने इसकी शुरुआत की थी। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया, संकीर्तन कार्यक्रम में लोगों की आस्था बढ़ती गई। आज करीब 80 गांव के लोग इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

चार शिफ्ट में भजन-कीर्तन, बेसहारों का सहारा भी

यों कहें दिव्यांगों और घर से उपेक्षित बुजुर्गों के लिए मंदिर प्रांगण एक आश्रय सा बन गया है। सभी लोग सुबह से लेकर शाम तक भजन-कीर्तन में मशगूल रहते हैं। बदले में बतौर सहयोग राशि कीर्तन मंडली में शामिल लोगों को डेढ़-डेढ़ हजार रुपए और तीनों समय का भोजन दिया जाता है। इनके रहने की भी व्यवस्था यहीं है। संकीर्तन की सफलता के लिए इसे चार शिफ्ट में बांटा गया है।

30 एकड़ में हरियाली, स्थायी मंडप में विराजमान हैं राम, जानकी और पवनपुत्र

यहां तकरीबन 30 एकड़ में पेड़-पौधे गुलजार हैं। संकीर्तन करने वाले ही इसकी रखवाली करते हैं। यहां गो-पालन की भी व्यवस्था है। यहां एक स्थायी मंडप का भी निर्माण कराया गया है, जहां माता जानकी, प्रभु श्रीराम और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है।

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