How to make Rahu favorable : करें राहु को अनुकूल। राहु कूटनीति का सबसे बड़ा ग्रह है। राहु संघर्ष के बाद सफलता दिलाता है। कई महापुरुषों की कुंडलियो से स्पष्ट है राहू का 12वें घर में बैठना बड़ा अशुभ होता है। किसी भी कुंडली में राहू जिस घर में बैठता है 19वें वर्ष में उसका फल दे कर 20वें वर्ष में नष्ट कर देता है। राहु की महादशा 18 वर्ष की होती है। राहु चन्द्र जब भी एक साथ किसी भाव में बैठे हुए हो तो चिंता का योग बनाते है।
राहु की अपनी कोई जगह या ग्रह नहीं होता वह जिस ग्रह के साथ बैठता है वहीं निम्न कार्य करता है।
1) उस ग्रह की सारी शक्ति को ख़त्म कर देता है।
2) उसकी शक्ति खुद ले लेता है।
3) उस भाव में अत्याधिक संघर्ष के बाद सफलता देता है।
कुंडली मे राहु के अशुभ होने के कुछ योग
1) प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम, दशम तथा एकादश भाव में राहु की स्थिति शुभ नहीं मानी जाती हैं। परन्तु कुछ छठें तथा ग्यारहवें भाव राहु की स्थिति को शुभ भी मानते हैं।
2) धनु राशि का राहु अशुभ फल देता हैं।
3) यदि राहु शुभ भाव का होकर अपने भाव से छठें या आठवें स्थान पर हो तो अशुभ फल देता है।
4) यदि राहु श्रेष्ट भाव का स्वामी होकर सूर्य, शुक्र अथवा बुध के साथ बैठा हो तो अशुभ फल देता है।
5) सिंह राशि अथवा सूर्य से दृष्ट राहु अशुभ होता।
राहु के कारण व्यक्ति को निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
1) नौकरी व कारोबार में बाधा।
2) मानसिक अशांति।
3) अनिद्रा ।
4) परीक्षा में असफलता ।
5) किसी भी कार्य से मन उचटना।
6) खर्च बढ़ जाना ।
7) पति-पत्नी में तनाव
8) बनते कार्यो में रूकावट होना।
किन कारणों से राहु अशुभ फल देता है.?
1) यदि कोई व्यक्ति अपने गुरु को अपमानित करता है, तो उस व्यक्ति का राहु ग्रह अवश्य बुरा फल देता है।
2) यदि कोई व्यक्ति ब्याज वाले पैसों का प्रयोग घर में करता है तो, उस व्यक्ति का राहू ग्रह अवश्य बुरा फल देता है।