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Sawan- 2023 : 19 साल बाद इस बार सावन में बन रहे कई विशेष संयोग, विस्तार से जानें 

Sawan- 2023 : 19 साल बाद इस बार सावन में बन रहे कई विशेष संयोग, विस्तार से जानें 

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Dharma-Karma, Spirituality, religious story and news, 2023- month of Sawan, is bar savan mein ban rahe Kai khas Sanjog :  श्रावण मास का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस पवित्र मास में भगवान शिव की उपासना की जाती है। श्रावण मास में व्रत रखने से जीवन में सुख और समृद्धि मिलती है, और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि श्रावण मास भगवान शिव के लिए विशेष रूप से प्रिय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल श्रावण मास बहुत ही विशेष होने वाला है, क्योंकि इस बार श्रावण मास दो महीने तक चलेगा। इस तरह से श्रावण मास में 8 सोमवार पड़ेंगे, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कब से शुरू हो रहा है सावन

इस बार पवित्र श्रावण मास का शुभारंभ 4 जुलाई को होगा। जबकि सावन का समापन 31 अगस्त दिन गुरुवार को होगा। इस बार शिव के भक्तों को अपने ईष्ट की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलेंगे। यह बेहद शुभ संयोग 19 वर्ष के बाद बन रहा है। इस बार इस बार के सावन महीने में 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास लगेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि इस बार के सावन में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा भक्तों को प्राप्त होगी।

सावन में इस- इस दिन है सोमवारी

सावन की पहली सोमवारी : 10 जुलाई

सावन की दूसरी सोमवारी : 17 जुलाई

सावन की तीसरी सोमवारी : 24 जुलाई

सावन की चौथी सोमवारी : 31 जुलाई

सावन की पांचवीं सोमवारी : 7 अगस्त

सावन की छठी सोमवारी : 14 अगस्त

सावन की सातवीं सोमवारी : 21 अगस्त

सावन की आठवीं सोमवारी : 28 अगस्त 

कैसे करें भगवान की आराधना ? 

सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुधरे कपड़े पहनकर शिव मंदिर में जाएं। महादेव को जल अर्पण करने के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखें कि आप उन्हें दाहिने हाथ से ही जल चढ़ाएं। महादेव को जल चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय मंत्र’ का जाप करें। इस दौरान शंकर भगवान को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा अर्पित करें। इसके बाद मंदिर परिसर में ही बैठकर शांत चित्त से ध्यान लगाकर सोमवारी व्रत की कथा का श्रवण करें या कथा को खुद पढ़ें। भगवान भोले शंकर को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं। 

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