Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious : बरियातू के राम-जानकी मन्दिर में आयोजित शिव महापुराण की कथा में पंडित रामदेव पाण्डेय ने कहा कि सनातन में शिव और राम ने बहुपत्नी को नहीं स्वीकारा। विवाह केवल शरीर सुख के लिए नहीं है, विवाह जगत के कल्याण के लिए होता है। विवाह से आपके नीचे हजारों पीढ़ियां नीचे चलती हैं। इसके साथ ही समाज का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि शिव विवाह जगत के कल्याण के लिए पार्वती से हुआ, ताकि समाज में व्याप्त तारकासुर जैसी राक्षसी शक्तियों का वध हो। शिव ने स्वयं के विवाह में नान्दीमुख श्राद्ध और ग्रहों की शान्ति कर विवाह किया। जबकि, मंगल इनका पुत्र हैं।
विवाह का आधार छिन्न-भिन्न हो रहा
पंडित रामदेव पांडेय ने कहा कि आज विश्व में विवाह का आधार छिन्न-भिन्न हो रहा है। आज लिव-इन रिलेशनशिप से अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश में मुश्किल बढ़ गयी है। ये देश भारतीय विवाह परम्परा को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, क्योंकि इस रिलेशनशिप में बच्चों का लालन-पालन, मेंटर और मानसिक स्थिति पर प्रभाव होता है। उन्होंने कहा कि शिव-राम भी बहुत विवाह के पोषक नहीं हैं। बहु-विवाह अंतर्जातीय और अन्तर्राष्ट्रीय विवाह से लोक संस्कृति को भी खतरा है। इसलिए अर्जुन ने वर्ण संकरता को नाश का कारक गीता में माना है। जिन सभ्यताओं में वर्ण संकरता और बहु-विवाह का प्रचलन आया, वे सभ्यताएं ही मिट गयीं, क्योंकि वहां की संस्कृति और विवाह संस्था टूट रही है। लिव-इन रिलेशनशिप राष्ट्र के लिए अभिशाप है।