Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious : बरियातू हाउसिंग काॅलानी स्थित राम जानकी मंदिर में आयोजित शिव महापुराण के 23वें दिन की कथा में पंडित रामदेव पाण्डेय ने कहा कि सती ने योगाग्नि में स्वयं को जला लिया, एक सौ करोड़ शिवगण ने दक्ष यज्ञ को विध्वंस किया, वीरभद्र ने सती पिता दक्ष का माथा काट कर जला दिया। शिव समाधि में थे। सूचना पाकर वह सती के पास गये और दक्ष को बकरे का माथा लगा दिया। उन्होंने कहा कि शिव सर्जन हैं ससुर का, कभी शिव ने गणेश जी को हाथी का माथा प्रत्यारोपण कर दिया, जो आज भी सम्भव नहीं है। इसलिए सर्जन के आइकन शिव हैं। यह नृत्य में नटराज हैं। सती के प्राण त्याग से विश्व को 108 सिद्ध पीठ मिला है।
चीन में नील सरस्वती तारा देवी हैं
पंडित रामदेव पांडेय ने कहा कि अखण्ड भारत में कंधार से म्यांमार तक और कन्याकुमारी से चीन तक है। चीन में नील सरस्वती तारा देवी है, यह बौद्ध की पूजनीय देवी हैं। यक्ष का यज्ञ तामस था। शिव को नीचा दिखाने के लिए किया था, जो मन्दिरों, तीर्थ स्थलों की यात्रा तामस भाव से करते हैं, उन्हें भी परिणाम भुगतना पड़ता है, क्योंकि यज्ञ के समान कोई न मित्र है, न शत्रु। दशरथ, राम, द्रुपद के लिए यज्ञ मित्र है, तो दक्ष, रावण के लिए शत्रु। सती ही पार्वती हुईं। सनातन में न मनुष्य मरता है, न देवता और मानवीय विचार से मरता है, तो 108 तीर्थ स्थल बना कर जाता है।
ऐसी अद्भुत घटना दुनिया के किसी पंथ में नहीं
उन्होंने कहा कि शिव ने क्षमा दान भी दिया। ऐसी अद्भुत घटना दुनिया के किसी पंथ में नहीं देखेंगे। दुनिया के कथित धर्म में रक्तरंजित इतिहास दुखांत ही रहा है, जिनमें बाल, महिला और लाचार मजबूर की हिंसा हुई है। कल्चरल पैथोलॉजिकल थ्योरी में अमेरिका, यूरोप में दास और गुलाम प्रथा, श्वेत अश्वेत बुराइयां आयीं, गुलाम के बच्चे गुलाम होंगे, तो स्ट्रेटजिक थ्योरी अरब देशों में मुगलों, मंगोल से जापान चीन की सेना में आया युद्ध के बाद स्त्रियों के साथ हिंसात्मक रूख अपनाया। युद्ध में हारे देश की महिला शोषण का शिकार हुई और धर्मान्तरण करने को मजबूर हुई। यह है विदेशी धर्मों का सिद्धांत, लेकिन सनातन ग्रंथों में देवता और राक्षसों के अनेक युद्ध हैं, लेकिन स्त्री और बाल हिंसा राक्षसों ने भी नहीं किया। बली ने लक्ष्मी को बहन बनाया था, तो कृष्ण ने बानासुर को समधी बना लिया था। इस तरह सनातन में शिव ने युद्ध के बाद भी प्रतिद्वंद्वी को मान-सम्मान दिया ; चाहे वह दक्ष हो या रावण।