Dharma adhyatma : जब किसी कार्य़ को भगवान श्री गणेश की पूजा कर शुरू किया जाता है, तो सभी विघ्न-बाधा दूर होते हैं और कार्य की सफलता सुनिश्चित हो जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता कैसे बने।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता का दर्जा दिया गया है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इस कारण किसी भी शुभ कार्य को ‘श्री गणेशाय नमः‘ बोल कर या फिर भगवान श्री गणेश की पूजा कर शुरू किया जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले कार्य की पूर्ण सफलता के लिए भगवान या फिर दिव्य शक्ति से प्रार्थना की जाती है। जहां पर भगवान श्रीगणेश का पूजन होता है, वहां पर मां ऋद्धि और सिद्धि का भी वास होता है। वहीं, भगवान श्री गणेश के आशीर्वाद से शुभ-लाभ की प्राप्ति होती है। रिद्धि-सिद्धि विघ्नहर्ता गणेश की पत्नियां हैं और शुभ-लाभ उनके पुत्र हैं।
यह भी पढ़े : चाक्षुषोपनिषद मंत्र का करें जप, बढ़ेगी आंखों की रोशनी, संक्रमण होंगे दूर, तेज होगी बुद्धि
ऐसे बने प्रथम पूज्य देवता
भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देवता कैसे बने, इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक जब भगवान शंकर ने गणेश जी का सिर काट दिया, तो मां पार्वती बहुत क्रोधित हुईं। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए गणेश जी को गज का शीश लगा दिया। लेकिन, इसके बाद भी मां पार्वती का गुस्सा देख शिवजी ने कहा कि अपने सिर के कारण गणेश कभी कुरूप नहीं कहलायेंगे। सभी देवताओं से पहले गणेश जी की पूजा की जायेगी।
वहीं, एक अन्य कथा के मुताबिक राम नाम की परिक्रमा कर श्रीगणेश जी ने आशीर्वाद प्राप्त किया है। बताया जाता है कि भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा कर गणेश जी ने प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता कहा जाता है। वह इसलिए, क्योंकि गणेश भगवान महान लेखक होने के साथ आदि ज्योतिषी भी हैं। उन्होंने महाभारत की रचना में वेदव्यास की सहायता की थी।
इसके साथ ही शिव-शंकर का आशीर्वाद पाकर उन्होंने ज्योतिषी रूप धारण कर काशी के हर घर में जाकर भविष्य बताया। इसलिए ज्योतिष सम्बन्धी सभी कार्यों में भगवान गणेश का स्मरण व उल्लेख किया जाता है। इसके साथ ऋगवेद में भी वर्णित है कि ‘न ऋते त्वम् क्रियते किं चनारे‘, इसका अर्थ है, ‘हे गणेश आपके बिना कोई भी कार्य शुरू नहीं किया जाता है।’
शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का स्मरण
प्रतिदिन भगवान श्री गणेश का स्मरण और स्तुति कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इससे आप सभी विघ्न-बाधाओं को पार कर आसानी से सफलता की ओर बढ़ सकते हैं। भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के देवता हैं और उनके साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी को चंचल कहा जाता है। हालांकि, यह मेहनत, मशक्कत, उपाय और यत्न द्वारा व्यक्ति के पास चली तो जाती हैं, लेकिन यह एक स्थान पर अधिक देर नहीं टिकती हैं।
ऐसे में व्यक्ति भगवान श्री गणेश के आशीर्वाद से अपनी बुद्धि-विवेक का सदुपयोग कर धन-लक्ष्मी को पुण्यार्जन के कार्य में लगा सकता है। साथ ही, वह अपने जीवन में वैभव, समृद्धि और सुख-सुविधाओं का आनन्द ले सकता है।