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भद्रा के साए से बचकर भाइयों को राखी बांधें बहनें, इस तरह रखें सही समय का ध्यान…

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Raksha Bandhan, Dharma-Karma, religious, God and goddess Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, vastu Shastra, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharma : आज यानी अंतिम सोमवारी के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार पड़ना वास्तव में संयोग है। भाई-बहन के प्रेम और आपसी विश्वास के प्रतीक के रूप में यह पर्व हम हर साल मनाते हैं। यह त्योहार हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि इस बार जहां रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है, वहीं इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन सावन का अंतिम सोमवार, पूर्णिमा, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग रहेगा। इन सभी संयोगों के कारण यह पर्व और भी अधिक शुभ और कल्याणकारी हो जाएगा।

भद्रा में राखी बांधना ठीक नहीं 

19 अगस्त को सुबह 3.04 बजे पूर्णिमा तिथि लग रही है और यह तिथि रात 11.55 बजे तक रहेगी। इस दिन सुबह 5:53 बजे से भद्राकाल शुरू होगा, जो दोपहर 1:32 बजे समाप्त होगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि होने के कारण भद्रा का निवास पाताल में रहेगा। पृथ्वी लोक पर भद्रा का निवास नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा की उपस्थिति में राखी बांधना ठीक नहीं है। इसलिए, बहनों को भद्रा काल के बाद ही राखी बांधनी चाहिए।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.32 बजे से रात 9.07 बजे तक रहेगा। इस अवधि के दौरान बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं। यह समय ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक शुभ और फलदायी माना गया है।

राखी बांधने की विधि का खास महत्व 

रक्षाबंधन पर राखी बांधने की विधि का भी खास महत्व होता है। सबसे पहले थाली में रोली, अक्षत, मिठाई और राखी सजाकर रखना चाहिए। इसके बाद विधि-विधान से रोली और अक्षत लगाकर भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए। इसके बाद भाई को मिठाई खिलानी चाहिए और उसकी आरती उतारकर उसकी सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

इस मंत्र का उच्चारण जरूर हो 

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि, रक्षे माचल माचलः।

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