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आपके भी बच्चे को पढ़ाई में नहीं लग रहा मन तो तुरंत दूर करवाइए स्टडी रूम का वास्तु दोष

आपके भी बच्चे को पढ़ाई में नहीं लग रहा मन तो तुरंत दूर करवाइए स्टडी रूम का वास्तु दोष

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Dharm adhyatma : हर माता-पिता की अपने बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा ही चिन्ताएं लगी रहती हैं। बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के लिए वे हर तरह को कोशिशें करते रहते हैं, ताकि उनका बच्चा अच्छी शिक्षा ग्रहण कर जीवन में सफल हो सके। हालांकि, कई माता-पिता की यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। घर पर पढ़ाई से जी चुराते हैं और पढ़ाई के प्रति एकाग्रता नहीं रखते। यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार यह स्टडी रूम में वास्तु दोष के कारण भी हो सकता है। वास्तु के अनुसार यदि स्टडी रूम में पढ़ाई सें सम्बन्धित कोई वास्तु दोष है, बच्चे का मन एकाग्र नहीं हो पाता है। इस कारण वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है। आइए, जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चे का स्टडी रूम कैसा होना चाहिए…

कैसा होना चाहिए आपका स्टडी रूम

✓वास्तु के अनुसार घर में जहां पर स्टडी रूम हो, उसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम में होनी चाहिए। इसके अलावा पढ़ाई का कमरा पूर्व उत्तर दिशा में होने से सूर्य, बुध एवं गुरु ग्रह की कृपा हमेशा प्राप्त होती है।

स्टडी रूम में टेबल का आकार वर्गाकार और आयताकार होना चाहिए। इससे छात्रों का मन पढ़ाई में लगता है।

किसी बीम या दुछती के नीचे बैठ कर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए ; अन्यथा मानसिक तनाव उत्पन्न होता है और पढ़ाई में मन नहीं लगेगा।

✓यदि सुबह सूर्य की किरणें स्टडी रूम में आती हों, तो खिड़की दरवाजे सुबह के वक्त खोल कर रखने चाहिए, ताकि सुबह के सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिल सके।

✓घर की पश्चिम दिशा में पढ़ाई का कमरा होने पर बच्चों को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा परीक्षा के दिनों में कम समय में ज्यादा चीजें याद कर परीक्षा में अच्छे नम्बर प्राप्त कर सकता है। पढ़ाई करनेवाले बच्चों को हमेशा दक्षिण या पश्चिम की ओर सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण में सिर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है और पश्चिम में सिर करके सोने से पढ़ने की चाहत दिन-प्रतिदिन बड़ती जायेगी।

✓स्टडी रूम में मां सरस्वती का चित्र लगायें और उनके सामने पढ़ाई करने से पहले हाथ जोड़ कर बुद्धि एवं बल के लिए प्रार्थना करें। साथ ही, प्रात:काल ॐ ऐं हीं सरस्वत्यै नमः का जाप करें।

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