Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious,Temple of Lord Shiva, Coimbatore, Tamilnadu : देश में कई ऐसे स्थल हैं, जो सनातन धर्मावलंबियों के लिए खास महत्व रखता है। ऐसे में हम आज आपको तमिलनाडु के शहर कोयंबटूर ले चलते हैं, जहां देवों के देव महादेव को चित्रित करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति आदियोगी स्थापित हैं। आदियोगी शिव की इस प्रतिमा में महान ‘योगी’ को पूरी तरह से गहन ध्यान और पारलौकिक वास्तविकता में लीन देखा जा सकता है। ईशा फाउंडेशन के मुताबिक यह चेहरा मुक्ति का प्रतीक है, जो उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है। आइये और जानकारी लेते हैं, इस प्रतिमा के बारे में…
500 टन वजन है इस प्रतिमा की, वासुदेव ने बनवाया
आदि गुरु शंकर की इस प्रतिमा की बात करें तो इसकी ऊंचाई 112 फीट है, जिसका वजन लगभग 500 टन है। इसे प्रसिद्ध भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा बनवाया गया। अगर इसके महत्व और महादेव के इस स्वरूप की व्याख्या करें तो भगवान शिव अमर शक्ति हैं, जिन पर पद, रूप और काल का कोई बंधन नहीं है। साथ ही वह हिंदू धर्म में सर्वोच्च शक्ति माने जाते हैं। देवाधिदेव महादेव मनुष्य को उनके कर्मों के बंधन से मुक्त करते हैं।
इस प्रतिमा में पिरोए गए हैं 100,008 रुद्राक्ष
इस प्रतिमा की खासियत की बात करें तो हर अमावस्या के दिन यहां आसपास के गांवों के लोगों द्वारा योगेश्वर लिंग पर पारंपरिक प्रसाद चढ़ाया जाता है। योगेश्वर लिंग पर “शंभो” मंत्र चार दक्षिण भारतीय भाषाओं: तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में लिखा गया है। आदियोगी मूर्ति की गले की माला को असली रुद्राक्ष से बनाया गया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रुद्राक्ष माला भी है, जिसमें 100,008 रुद्राक्ष पिरोए गए हैं। भक्त गण आदियोगी के चारों ओर लगे हुए 621 त्रिशूलों पर काला कपड़ा बांधकर भगवान आदियोगी को वस्त्र अर्पित करते हैं।