Ramayan ki katha, Religion Spiritual : मेघनाथ रावण की सबसे बड़ी पत्नी व लंका की मुख्य रानी मंदोदरी का सबसे बड़ा पुत्र था। इस नाते वह रावण का सबसे प्रिय पुत्र था। यह वही महारथी मेघनाथ था, जिसने राम-रावण युद्ध में तबाही मचाकर रख दी थी। आखिर उसका नाम मेघनाथ क्यों पड़ा, उसे किसने यह नाम दिया। और फिर वह इंद्रजीत क्यों कहलाया। आइए आज के अंक में हम इन्हीं बातों पर चर्चा करें…
जन्म लेते ही की थी मेघ सी गर्जना, इंद्र तक को कर दिया था परास्त
सामान्यतया जब भी कोई शिशु मां के गर्भ से बाहर आता है तो वह जोर-जोर से रोता है। अगर नही रोता है तो उसे रुलाया जाता है। किंतु, मेघनाथ सामान्य बच्चों की तरह न रोकर, जन्म के समय मेघ सी गर्जना की थी। यह गर्जना इतनी तेज थी मानों कोई बादल फटा हो। यह गर्जना सुनकर आसपास के लोग थर्रा उठे थे। इधर, रावण ने जब नवजात की यह गर्जना सुनी प्रसन्नता के बीच उसका नामाकरण मेघनाथ (मेघ का स्वामी) कर दिया। आइए, जानें मेघनाथ कब और किन परिस्थितियों में इंद्रजीत कहलाया…
… तब मेघनाथ ने जीत लिया था सभी देवताओं को
कहते हैं, जब मेघनाथ बड़ा हुआ, उसने अपने पराक्रम से न केवल मेघों को अपितु समस्त देवताओं पर विजय पा ली थी। स्वयं इंद्रदेव भी उससे भय खाते थे। उसके इसी गुण के कारण भगवान ब्रह्मा ने उसका नाम इंद्रजीत रख दिया था अर्थात जो इंद्र को भी जीत सकता हो। मेघनाथ ही ऐसा राक्षस था, जो समस्त राक्षसों में सबसे भयंकर युद्ध करने वाला था। उसने स्वयं भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बाँध दिया था व लक्ष्मण को अपने बाण से मुर्छित भी कर दिया था।