ज्ञानवापी का सर्वे कर रहे वीडियोग्राफर विभाष दुबे के दावों के बाद अब इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राम प्रसाद सिंह ने भी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़े और चौकानेवाले दावे किए हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह मस्जिद नहीं है, मंदिर है। मेरे पास तस्वीरे हैं जो यह सच्चाई बयां कर रही हैं। मंदिर का अवशेष अभी भी बचा हुआ है तस्वीर में साफ दिख रहा है। ऊपर की तरफ से मस्जिद में 3 गुम्बद बने हैं, वह मंदिर तोड़कर ही बने हैं, उसी मलबे से गुम्बद बना है। उन्होंने दावा किया कि पत्थर लगाकर दरवाजा बंद किया गया है। अगर यह खोल दिया जाए तो यह गर्भ गृह की ओर जाता है, जो ठीक बीच वाले गुम्बद के नीचे है। नाम ज्ञानवापी है। इसे मस्जिद कह ही नहीं सकते। मंदिर के मलबे से ही 3 गुम्बद बनाए गए। यही अयोध्या और मथुरा में भी हुआ था।
तहखाने में है देवी-देवताओं की मूर्तियां
इतिहासकार ने कहा कि उत्तर दिशा की ओर गेटनुमा आकार है, यही से लोग अंदर आते हैं, जो मंदिर का स्ट्रक्चर था वह भी ऐसा था। तहखाने की लंबाई 7 फीट है, तहखाने के अंदर टूटे हुए शिवलिंग और देवी- देवताओं की मूर्तियां हैं। वीडियोग्राफी होते ही यहां सारा सच खुल जाएगा। सिंह ने कहा, ‘मेरे पास उपलब्ध सारी तस्वीरें 1991 से 1993 के बीच की हैं। श्रृंगार गौरी से आगे बढ़कर बाएं ओर बढ़ेंगे तो कुआं दिखेगा, यह 400 साल पहले नहीं था। आज उसे कूप बनाकर उसे ढक दिया गया है। नंदी हमेशा शिव की ओर होते हैं, यहां भी ऐसा ही है।
नंदी का मुंह मूल ज्ञानवापी की ओर मौजूद
इतिहासकार डॉ. राम प्रसाद सिंह ने कहा, ‘नंदी का मुंह मूल ज्ञानवापी की ओर है, यह एक सिग्नल था नंदी का कि इस मंदिर का जब भी उद्धार होगा, इधर ही होगा।’ आपको बता दें कि डॉ. राम प्रसाद सिंह ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद पर सालों रिसर्च किया है और इसके मामलों को करीब से देखा है। अब ज्ञानवापी को लेकर मचे घमासान के बीच वह अपने पुख्ता तथ्य रख रहे हैं।
इसके पहले वीडियोग्राफर ने भी किया था यह दावा
इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी करने वाले विभाष दूबे ने भी कई दावे किए थे। उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद की दीवार पर तराशा हुआ प्राचीन घंटा और फूलों की लड़ियां दिखाई दी थीं। एक दीवार पर स्वास्तिक भी बना हुआ था जो दक्षिण दिशा में मौजूद था। कलाकृतियां साफ नज़र आती हैं। वहां फन काढ़े विष्णु जी का नाग भी दिखा। वह श्रृंगार गौरी की दीवार पर गढ़े हुए दिखे थे।