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Dharm-adhyatm : भारत ही नहीं, विदेशों में भी हैं भगवान हनुमान के पैरों के निशान

Dharm-adhyatm : भारत ही नहीं, विदेशों में भी हैं भगवान हनुमान के पैरों के निशान

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There are footprints of Lord Hanuman not only in India but also in foreign countries, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : भगवान की प्राचीन उपस्थिति के भौतिक निशान पृथ्वी पर साफ देखे जा सकते हैं। कई जगहों पर हनुमान जी के विशाल पैरों के निशान पाये गये हैं। आज हम आपको उन जगहों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

हिन्दू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इन्हीं देवताओं में हनुमान जी हैं, जिन्हें भगवान श्रीराम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। वहीं, धर्म की रक्षा के लिए और अधर्म के नाश के लिए भगवान ने कई बार धरती पर जन्म लिया है। भगवान की प्राचीन उपस्थिति के भौतिक निशान पृथ्वी पर साफ देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि कई जगहों पर हनुमान जी के विशाल पैरों के निशान पाये गये हैं। 

हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहां पर भगवान हनुमान के बड़े विशाल पैरों के निशान जमीन पर बने हुए हैं। मान्यता के अनुसार, इनमें से कुछ पदचिह्न सैकड़ों-लाखों वर्ष पुराने हैं। रामायण में वर्णित भगवान राम और भगवान हनुमान के सम्बन्ध से सभी परिचित हैं। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि धरती पर आज भी भगवान हमारे बीच हैं।…तो आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में…

श्रीलंका में हनुमान के पदचिह्न

श्रीलंका में पाये जानेवाले विशाल पैरों के निशान भगवान हनुमान के पदचिह्न माने जाते हैं। बताया जाता है कि जब भारत से श्रीलंका की ओर हनुमान चले, तो वह इसी स्थान पर उतरे थे। भगवान हनुमान के शरीर की शक्ति इतनी अधिक थी कि इस ठोस पत्थर में उनके पदचिह्न दब गये। 

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मलेशिया के पेनांग में पदचिह्न

आपको बता दें कि मलेशिया के पेनांग में भी हनुमान जी के विशाल पदचिह्नों को देखा जा सकता है। भगवान के इन पदचिह्नों के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु हनुमान जी के 

पदचिह्नों पर सिक्के फेंकते हैं।

थाइलैंड में हनुमान के पदचिह्न

इसके अलावा थाइलैंड में भी विशाल पदचिह्न पाये जाते हैं। हालांकि, ये पदचिह्न किसके हैं, इस बारे में साफ जानकारी नहीं है। वैसे, विशाल पैरों के निशान आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में भी मिलते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि यह भगवान हनुमान के पदचिह्न हैं। लेकिन, कुछ लोगों का मानना है यह पदचिह्न माता सीता के हैं।

लेपाक्षी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

आप भारतीय महाकाव्य रामायण में भी लेपाक्षी के ऐतिहासिक शहर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जब लंकापति रावण माता सीता का हरण कर ले जा रहा था, तब जटायू और रावण का युद्ध हुआ था। उस दौरान धरती पर मां सीता के पदचिह्न बने थे। वहीं, जटायु वृद्ध होने के कारण अधिक समय तक रावण से युद्ध नहीं कर पाया। रामायण के मुताबिक जटायु अपने अंतिम समय में भगवान श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण से इसी स्थान पर मिला था।

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