Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, Vastu Shastra : आप मानें न मानें हमारे जीवन में वास्तु का विशेष महत्व है। हवादार, रोशनीयुक्त, साफ-सुथरा घर भले किसे अच्छा नहीं लगेगा। घर का वातावरण अगर आपके अनुरूप हो तो आपका मन प्रफुल्लित रहता है। अगर घर में उपरोक्त वातावरण का समावेश न हो तो इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यहीं तो है वास्तु। आपकी कई बार शिकायत होती है कि आपका बच्चा पढ़ने में मन नहीं लगाता। वह बहुत चंचल है। पढ़ाई के वक्त किसी न किसी बहाने उठ जाता है। हो सकता है कि यह समस्या उसकी शारीरिक और मानसिक हो, लेकिन ऐसा लाखों में कुछ ही बच्चों में होता है। ऐसे में अगर बच्चा भी कुछ ऐसा व्यवहार करता है तो ये वास्तु टिप्स अपनाएं…, फिर बताएं…
बच्चों के कमरे में रखें मयूर जग, टांगें पोस्टर…
पढ़ाई के वक्त अगर बच्चे पानी पीने के नाम पर बार-बार उठते हैं तो स्टडी रूम में उत्तर दिशा की ओर पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। स्वस्थ शरीर के लिए पानी सही मात्रा में पीना जरूरी है। स्टडी रूम में पानी रखने से पढ़ाई के बीच बार-बार उठकर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। वास्तु शास्त्र के अनुसार मयूर जग कमरे में रखने से बच्चे को किसी भी तरह का डर नहीं लगता है। इसी तरह कहते हैं किसी एक चीज को हमेशा देखने से वह चीज याद रहती हैं। बच्चों के स्टडी रूम में पढ़ाई से संबंधित पोस्टर, फॉर्मूले, पॉजिटिव थॉट्स जरूर लगानी चाहिए। इससे बच्चों के दिमाग में वही चीज घूमती है। ये चीजें बच्चों को अच्छा करने के लिए मोटिवेट भी करतीं हैं।
पूर्व दिशा की ओर मुंह कर पढ़ना ज्यादा लाभकारी
याद रखें, वास्तु शास्त्र में सही दिशा में पढ़ाई का भी महत्व बताया गया है। इसके लिए पूर्व दिशा उपयुक्त माना गया है। अगर इस दिशा जगह की दिक्कत हो तो उत्तर-पूर्व दिशा का चयन करना चाहिए। इस दिशा की ओर मुंह करके पढ़ने से चीजें आसानी से समझ में आ जाती हैं। वहीं स्टडी रूम में किताबों को रखने के लिए आलमारी की जगह पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। अगर इस दिशा में जगह न हो तो पश्चिम से दक्षिण की तरफ वाली दीवार का चुनाव करें।