आज बुधवार है। 18 मई। हमारी धार्मिक परंपरा में बुधवार का दिन देवाधिदेव भगवान शंकर के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आर्थिक विपन्नता दूर होती है सभी आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलने का रास्ता प्राप्त हो जाता है। अब बताते हैं कैसे करनी है पूजा।
भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें
भगवान गणेश को दूर्वा घास अति प्रिय होती है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूर्वा घास जरूर अर्पित करें। जो भक्त भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आप रोजाना भी भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित कर सकते हैं। अगर आपके कार्यों में बार- बार विघ्न आ जाता है तो भगवान गणेश को दूर्वा जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से आपके कार्यों के विघ्न दूर हो जाएंगे।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सिंदूर भी लगाएं। सिंदूर लगाने से गणपति भगवान प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेश को सिंदूर लगाने के बाद अपने माथे में भी सिंदूर लगा लें। भगवान गणेश को सिंदूर लगाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। आप रोजाना भी भगवान गणेश को सिंदूर लगा सकते हैं।
भगवान गणेश को भोग लगाएं
भगवान गणेश को लड्डू और मोदक अधिक पसंद होते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को लड्डुओं और मोदक का भोग जरूर लगाएं। भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में लड्डओं और मोदक का सेवन भी कर लें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी.
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥