While offering Dhatura to Shivling, also offer the bitterness of your mind and thoughts, because…, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharm, God and goddess : भगवान शिव को चढ़ाया जानेवाला एक कांटेदार फल है धतूरा, जो आम तौर पर जहरीला और जंगली फल माना जाता है। सामान्यतः लोग यही जानते हैं कि धतूरा शिव जी को बहुत पसन्द है। लेकिन, इस फल के वैज्ञानिक महत्त्व को कम लोग जानते हैं।…तो आइए जानते हैं, धतूरा की विशेषताओं को…। भगवान शिव को कई सामग्रियां प्रिय हैं। इनमें खास तौर पर आंकड़ा, जल, बिल्वपत्र, भांग, कर्पूर, दूध, चावल, चंदन, भस्म, रुद्राक्ष और धतूरा है, जिन्हें भोलेनाथ को अर्पित करने से वह अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर कामना पूरी करते हैं।
धतूरा क्या है, जानें महत्त्व
भगवान शिव को चढ़ाया जानेवाला एक कांटेदार फल है, जो आम तौर पर जहरीला और जंगली फल माना जाता है। इसका धार्मिक महत्त्व इतना ज्यादा है कि धतूरे के बारे में यह कहा जाता है कि शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाते समय अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी अर्पित करना चाहिए। इससे मन के विचार शुद्ध होने लगते हैं तथा जीवन से कटुता दूर होती है।
शिव जी होते हैं प्रसन्न
भगवान शिव जी का पूजन करते समय एक धतूरा शिवलिंग के ऊपर रखें। ध्यान रखें कि धतूरा अर्पित करते समय उसकी डंडी ठीक विपरीत दिशा में हो यानी आप जहां से भोलेनाथ को धतूरा चढ़ा रहे हैं, उसकी विपरीत दिशा में रखना उचित होता है। फिर धतूरा अर्पित करने बाद धीरे-धीरे उसके ऊपर एक लोटे से जल चढ़ाते रहें। इस प्रकार शिव जी का पूजन करके धतूरा चढ़ा देने से वह प्रसन्न होते हैं।
धतूरा भोलेनाथ को क्यों पसंद है ?
धार्मिक ग्रथों के अनुसार भगवान शिव को धतूरा अत्यन्त प्रिय है। इसके पीछे पुराणों में जहां इसका धार्मिक कारण बताया गया है, वहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं। यह अत्यन्त ठंडा क्षेत्र है, जहां ऐसे आहार और औषधि की जरूरत होती है, जो शरीर को ऊष्मा प्रदान करे।
धतूरे का वैज्ञानिक महत्त्व
धतूरे को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें, तो यदि इसे सीमित मात्रा में लिया जाये, तो यह औषधि का काम करता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है। जबकि, धार्मिक दृष्टि से इसका कारण देवी भागवत पुराण में बताया गया है। इस पुराण के अनुसार शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया, तब वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की। अत: उस समय से ही शिव जी को भांग धतूरा प्रिय है। यही कारण है कि पूजन के अलावा इसका प्रयोग किसी भी काम में नहीं किया जाता है।