Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, nag panchmi ke din kyon nahin banai jaati rotiyan : हमारे देश भारत में लंच अथवा डिनर थाली में रोटी के बिना भोजन पूरा नहीं माना जाता है। दूसरी ओर यह भी सच है कि कुछ खास पर्व- त्योहारों और कुछ खास मौकों पर रोटी बनाने की सख्त मनाही होती है। हिंदू धर्म में खाना को भी धर्म से जोड़कर देखा जाता है। हमारे पंथ में अन्न ही ब्रह्म है। हमारी रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है। ऐसी मान्यताओं के तहत भोजन और त्योहारों से जुड़े कुछ खास नियम और शर्त होते हैं, जिनका सभी को इसका पालन करना चाहिए।
तवा नाग के फन का प्रतिरूप है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कई त्योहारों में तवा चढ़ाने की सख्त मनाही है। कुछ विशेष तिथियों की बात करें तो नाग पंचमी के अवसर पर भी घर में रोटी नहीं बनती है। ऐसा क्यों होता है, चलिए जानते हैं। मान्यता के अनुसार रोटी बनाने के लिए जिस लोहे के तवे का इस्तेमाल किया जाता है, उसे नाग का फन माना जाता है। तवे को नाग के फन का प्रतिरूप माना जाता है। इसलिए नागपंचमी के दिन आग पर तवा नहीं रखा जाता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है
ब्रह्मपुराण की मानें तो ब्रह्मा जी ने सर्पों को नाग पंचमी के दिन पूजे जाने का वरदान दिया है। इस दिन नाग की पूजा का विधि विधान है। इनकी पूजा से राहु-केतु जनित दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन कई और काम वर्जित हैं। जैसे- किसी भी काम के लिए भूमि की खुदाई न करें। इस दिन सिलाई, कढ़ाई नहीं करनी चहिए, क्योंकि नाग पंचमी पर नुकीली और धारदार चीजों जैसे चाकू, सूई का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है।
इन त्योहारों पर भी तवा चढ़ाने की मनाही
हिंदुओं का दीपावली बहुत बड़ा पर वो माना जाता है। इस दिन भी रोटी नहीं बनानी चाहिए। ज्योतिषीय मान्यताओं के अऊ मां लक्ष्मी के त्योहारों में विशेष पकवान बनाने की परंपरा रही है। यही वजह है कि आज भी अधिकांश घरों में इस त्योहार पर रोटी की जगह पूड़ी या दूसरे पकवान बनाए जाते हैं। ऐसी ही एक और मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन घर में कच्ची रसोई कदापि नहीं बनानी चाहिए। इस दिन भी खीर-पूड़ी बनाने का विधान है। इसी तरह से शीतला अष्टमी पर शीतला मैया की पूजा होती है। इस मौके पर माता को बासी भोजन से भोग लगाया जाता है। इस दिन घर में ताजी रोटियां बनाना एकदम निषेध है।