Yantra is excellent in small achievements and useful experiments : छोटी सिद्धियों और उपयोगी प्रयोगों में यंत्र शानदार हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति को आसानी से इच्छित लाभ मिल जाता है। रोग मुक्ति, वशीकरण, धन प्राप्ति, रोजगार में अधिक अवसर, प्रेत समेत अन्य बाधाओं से मुक्ति, स्तंभन, उच्चाटन आदि में यह रामबाण की तरह है। यद्यपि इसमें मंत्रों की तुलना में शक्ति कम होती है। इसके बाद भी उपयोगिता अच्छी है। कई तांत्रिक सिर्फ यंत्र से ही समस्याओं का समाधान करते हैं। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें कोई नुकसान नहीं होता है। यह अपने आप में बड़ा विज्ञान है। इस पर कई ग्रंथ लिखे गए हैं। उन सभी को एक लेख में समेटना असंभव है। यहां में कुछ प्रमुख यंत्रों की जानकारी दे रहा हूं। यदि किसी को इसकी अधिक जिज्ञासा या आवश्यकता हो तो वे मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
यंत्र बनाने की विधि
अत्यंत सरल है यंत्र बनाने की विधि। विभिन्न ग्रंथों में अलग-अलग यंत्रों की भिन्न विधि है। तदनुसार बनाकर ही लाभ पाया जा सकता है। मेरा अनुभव है कि सामान्य व्यक्ति को थोड़ा ध्यान रखना चाहिए। उन्हें यंत्र बनाने के बाद संबंधित देवी-देवता का मंत्र का जप करने के साथ यंत्र को अभिमंत्रित कर लेना चाहिए। इसके बद उपयोग करने से अधिक लाभ मिलता है। जब कोई तांत्रिक या सिद्ध व्यक्ति यंत्र दें तो इसकी आवश्यकता नहीं रहती है। क्योंकि उनमें विशेष शक्ति रहती है। साथ ही आवश्यकतानुसार वे इसे अभिमंत्रित भी कर लेते हैं। लेकिन आम लोगों में न तो ऐसी क्षमता होती है और जानकारी। अतः उचित होगा कि उपयोग से पहले वे पहले स्वयं को मंत्र जप कर पात्र बना लें। फिर यंत्र को अभिमंत्रित कर प्रयोग में लाएं। इतना करने के बाद वे आसानी से इसका उपयोग कर सकते हैं।
पुत्र प्राप्ति यंत्र
छोटी सिद्धियों और उपयोगी प्रयोगों में यंत्र शानदार है। सबसे पहले पुत्र प्राप्ति यंत्र के बारे में जानें। इसके लिए ऊपर चित्र में दिए गए पुत्र प्राप्ति यंत्र को देखें। इसे रोहिणी नक्षत्र के अवसर पर सफेद कागज पर बनाना है। स्याही के लिए किसी पुत्रवती महिला के दूध में केसर व चंदन मिलाकर घोल तैयार करें। फिर अनार की लकड़ी से कलम बनाकर अलग-अलग आठ यंत्र तैयार करें। एक यंत्र को ताबीज में भरकर जिसे पुत्र की कामना है, उस महिला के गले में बांधें। शेष सात यंत्र में से हर यंत्र को बारी-बारी से हर मंगलवार को जल में धोकर इच्छुक महिला को पिलाएं। ताबीज को पिलाने का क्रम सात मंगलवार तक ही चलेगा। ताबीज को पुत्र प्राप्त होने तक गले में धारण करना है।
महाकाली यंत्र (चौत्तीसा)
भद्रकाली का यंत्र विघ्न-बाधा दूर कर आर्थिक समृद्धि देता है। इसे होली, दीपावली, सोमवती अमावस्या या पूर्णिमा को बनाएं। भोजपत्र पर अनार की कलम से केसर व रक्तचंदन से चित्र जैसा लिखें। लिखते समय अंक देवता का ध्यान करते हुए मंत्र पढ़ें। 7 लिखते समय बोलें- सात पूनम काल का। 12 लिखते समय- बारह बरस क्वांर। 1 में- एको देवी जानिए। 14 में- चौदह भुवन द्वार। 2- द्वि पक्षे निर्मलिए। 13- तेरह देवन देव। 8 में अष्टभुजी परमेश्वरी। 11 में ग्यारह रुद्र देवता। 16- सोलह कला संपूर्णा। 3- तीन नयन भरपूर। 10- दसों द्वारी। 5- तू ही मां, पांचों बाजे नूर। 9- नवनिधी। 6- षडदर्शनी। 15- पंद्रह तिथी जान। 4 में चारों युग में कालिका कर काली कल्याण- बोलें। 21 दिन तक यंत्र को काली की तस्वीर के समक्ष रखें। नित्य पूजा कर एक माला- आं क्रीं भद्रकाली कर कल्याण- का जप करें।
ऐसे बनाएं लक्ष्मीप्रद बीसा यंत्र
इस यंत्र को भोजपत्र पर केसर व चंदन की स्याही बनाकर चांदी के शलाके से लिखें। सोना या चांदी के पत्र पर भी इसे पहले केसर व चंदन से लिखकर अंकित किया जा सकता है। छोटी सिद्धियों और उपयोगी प्रयोगों में यह यंत्र लाजवाब है। यंत्र को लकड़ी के पाटे पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। स्वयं भी लाल वस्त्र पहनें। त्रिपुर सुंदरी का निम्न मंत्र से ध्यान करें।
दिव्यांपरां सुधनवल चक्रयतां,
मूलादि बिंदु परिपूर्ण कलात्मरूपाम्।
स्थित्यात्मिकां शरधनु सृणि पाशहस्तां,
श्रीचक्रतां परिणतां सततं नमामि।
फिर श्रीं सहित लक्ष्मी के किसी मंत्र या ऐं ह्रीं क्लीं चामुडायै विच्च का 11 दिन तक नित्य दस माला जप करें। यंत्र को पूजा स्थान पर रखें। चमत्कारिक लाभ मिलेगा।
ज्ञान वृद्धि यंत्र और राजा-अधिकारी वशीकरण यंत्र
मालकांगनी के रस को स्याही की तरह बनाएं। फिर चांदी की शलाका से शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ऊपर चित्र की तरह जीभ पर लिखें। जीभ पर स्वयं इतना लिखना कठिन होता है। अतः आपको भी समस्या हो तो यंत्र को भोजपत्र पर लिखकर अपनी जीभ पर रख लें। फिर मौन होकर मन ही मन- ह्रीं श्रीं उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी हुं फट स्वाहा- मंत्र का दस माला जप करें। 11 बार शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को ऐसा करने पर ज्ञान में बढ़ता है।
राजा-अधिकारी वशीकरण यंत्र के लिए केसर, गोरोचन और कुमकुम से भोजपत्र पर चित्र के अनुसार यंत्र बनाएं। फिर- ह्रीं ह्रीं सः सः- मंत्र का दस माला जप करें। इसे ताबीज में भरकर गले में या भुजा पर बांध लें। राजा-अधिकारी आपके अनुकूल होंगे।
अत्यंत कल्याणकारी दुर्गा बीसा यंत्र
केसर को दूध में मिलाकर स्याही बनाए। फिर ऊपर चित्र की तरह भोजपत्र पर अनार की कलम से पांच यंत्र बना लें। 21 दिन तक नित्य मां दुर्गा की पूजा करें। फिर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का 21-21 बार पाठ करें। पाठ से पहले और बाद में ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे- मंत्र का एक-एक माला जप करें। 21 दिन के पश्चात हवन कर चार यंत्र किसी जरूरतमंतद के जीवन स्तर को सुधारने के लिए दे दें। एक यंत्र अपने पूजा स्थान पर रखें। छोटी सिद्धियों और उपयोगी प्रयोगों में यह शानदार यंत्र है। इस अनुभूत यंत्र ने कई लोगों को चमत्कारिक लाभ दिलावाया है।